Sanatan : आखिर कैसे नासा (NASA) की गणना से मिलान खाता है, 20 रुपये का भारतीय पंचांग

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एक समान हैं नासा और भारतीय पंचांग की गणना

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आज विज्ञान बहुत ही आगे बढ़ चुका है. वर्षा, मौसम, ऋतु तक के बारे में जानकारी गणना करके हो जाती है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा गणना करती रहती है. गणना के अनुसार दिन-रात, सूर्योदय सब पता चल जाता है. बारिश होगी या अकाल आएगा इस बात की भी लगभग जानकारी मिल जाती है. लेकिन सवाल है कि आखिर कैसे भारतीय पंचांग (Sanatan)  इन सभी की ठीक गणना कर लेता है. आगे पढ़कर इसे जानते हैं…

वेद और सनातन (Sanatan) ढोंग नहीं संपूर्ण विज्ञान है

सनातन धर्म में आस्था रखने वाले और वेदों, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने वाले इस बात से अच्छी तरह परिचित हैं. शायद इसलिए वेदों की वाणी आज भी विज्ञान पर भारी है. वेद कोई कहानी या पटकथा नहीं है जीवन को बेहतर ढंग से जीने के सूत्र हैं. तिलक लगाने से लेकर चोटी रखने तक में विज्ञान है. हम भारतीय जब पवित्र माँ गंगा को जब हम पूजते हैं . तब पश्चिम सभ्यता के लोग हमारा मज़ाक बनाते थे. हम पेड़ को पूजते हैं, इस पर भी खूब मज़ाक बनाया गया है. लेकिन आज पेड़ों को बचाने को लेकर वैश्विक अभियान चल रहा है. वेदों में लिखा प्रत्येक श्लोक वैज्ञानिक रूप से तथ्य पूर्ण है.

सूर्य से पृथ्वी की दूरी, नासा से हज़ारों वर्ष पहले सनातन (Sanatan) ग्रंथों में

ऐसी कई बातेँ हैं. जहां विज्ञान हज़ारों साल बाद पहुंच पाया है. वेद वह बात हज़ारों वर्षों पूर्व ही बता चुके हैं. वेदों को इसलिए देववाणी कहा जाता है. हर सनातनी व्यक्ती हनुमान चालीसा का पाठ तो अवश्य ही करता है. हनुमान चालीसा की एक अर्द्धाली नासा की हज़ारों वर्ष बाद की गई गणना से सटीक मिलान खाती है. हनुमान चालीसा की चौपाई ” जुग सहस्त्र जोजन पर भानू” जिसका अर्थ अगर दूरी में निकाले तो ठीक वही दूरी बनती है. जो नासा ने हज़ारों वर्षों बाद बता पाई. इसलिए सनातन धर्म पूर्ण वैज्ञानिक है.

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में नासा और पंचांग एक समान

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के वैज्ञानिकों द्वारा जो गणना की जाती है. वह गणना साल भर पहले बने भारतीय पंचांग से स्पष्टतः मिलती है. सूर्योदय और सूर्यास्त का समय नासा और पंचांग दोनों का ही एक जैसा रहता है. ग्रहण के बारे में नासा द्वारा दी गई जानकारी पंचांग में पहले से ही होती है.

इसलिए सनातन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहतर माना जाता है. सनातन में हर बात का एक सकारात्मक उद्देश्य है. हर बात पर प्रश्नचिन्ह लगाने की आजादी भी है. इसकी वजह से सनातन में त्रुटियों की जगह नहीं है.

योग जिसे आज दुनिया अपना रही है, वह योग सनातन की देन है. सनातन ने ही हजारों वर्ष पूर्व योग और ध्यान के बारे में बताया था. आज योग किसी भी चिकित्सा के बराबर कार्य करता है. भारत ही नहीं विदेशों में भी योग का डंका बज रहा है.

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