Nano DAP : किसानों के लिए बड़ी खबर, नैनो DAP को मिली मंजूरी, आधा हो जाएगा डीएपी का दाम
फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO) में शामिल हुआ नैनो डीएपी(Nano DAP), नोटिफिकेशन जारी. जांच-पड़ताल के बाद केंद्र ने नैनो लिक्विड डीएपी के प्रोडक्शन और कमर्शियल इस्तेमाल की मंजूरी दी. इसका दाम 1350 रुपये की बजाय 600 से 700 रुपये के बीच रहेगा. इफको को 20 साल के लिए नैनो डीएपी का पेटेंट मिला है.
केंद्र सरकार का यह कदम भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए यह फैसला तुरुप का इक्का साबित हो सकता है. एफसीओ में शामिल होने के बाद अब इफको इसका प्रोडक्शन और कमर्शियल इस्तेमाल कर सकता है. नैनो यूरिया की तरह ही नैनो डीएपी लिक्विड वर्जन है. इससे पहले इफको ने 31 मई 2021 को दुनिया में पहली बार नैनो यूरिया की शुरुआत की थी. जिसकी 500 एमएल की 6 करोड़ बोतल तैयार हो गई हैं. खेतों में इसका इस्तेमाल हो रहा है. अब नैनो लिक्विड डीएपी की बारी है, जिसका पेटेंट इफको को जुलाई 2022 में ही मिल गया था. अब केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसे एफसीओ में शामिल होने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
सुरक्षित होने का दावा
नैनो डीएपी पर भारत का यह कदम दुनिया के उर्वरक उद्योग में गेम चेंजर साबित हो सकता है. इफको अभी नैनो डीएपी पर ही नहीं रुक रहा है. यह नैनो जिंक और नैनो कॉपर भी विकसित कर रहा है. उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया पहले ही कह चुके हैं कि जैव-सुरक्षा और टॉक्सिसिटी टेस्ट से पता चला है कि नैनो-डीएपी सुरक्षित है. इपको के एमडी यूएस अवस्थी का कहना है कि डीएपी खाद अब बोरी की बजाय 500 एमएल की बोतल में आने के बाद ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम होगा. जिसका फायदा किसानों को मिलेगा.
कहां-कहां पर होगा उत्पादन
नैनो डीएपी को भी इफको के नैनो बायो टेक्नॉलोजी रिसर्च सेंटर ने डेवलप किया है. गुजरात स्थित इफको की कलोल विस्तार यूनिट, कांडला यूनिट और ओडिशा स्थित पारादीप यूनिट में नैनो डीएपी का प्रोडक्शन होगा. तीनों यूनिटों में रोजाना 500 एमएल नैनो डीएपी की 2-2 लाख बोतलें तैयार होंगी. इफको की कलोल विस्तार यूनिट में जल्द ही उत्पादन शुरू होगा. पारादीप, ओडिशा में जुलाई 2023 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा, जबकि कांडला, गुजरात में अगस्त 2023 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा.
किन फसलों पर हुआ ट्रायल : Nano DAP
नैनो डीएपी की खोज किसानों को केंद्र में रखकर की गई है. इसलिए इसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को ही मिलने वाला है. क्योंकि इसके दाम पर उनका खर्च आधा हो जाएगा. यह पर्यावरण के अनुकूल है और ढुलाई और रखरखाव आसान है. बताया गया है कि इसका चना, मटर, मसूर, गेहूं और सरसों जैसी कई फसलों पर फील्ड ट्रायल किया गया है. इस ट्रॉयल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को शामिल किया गया था. डीएपी में 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसदी फास्फोरस होता है. पौधों के लिए नाइट्रोजन फास्फोरस एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है.