Agriculture Tips : गलती से भी अपने खेत में ना लगाएं ये वाला पेड़, मुनाफा कमाने के चक्कर में जमीन से हाथ धो बैठेंगे आप,जमीन हो जाएगी बंजर
खेती-किसानी से अतिरिक्त मुनाफा कमाने के लिए अब किसान अपने खेत की मेडों पर विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगवाते हैं. ये पेड़ कुछ साल में बड़े हो जाते हैं, जिनकी लकड़ी बाजार में काफी अच्छे दाम पर बिकती है. कई पेड़ों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती, सिर्फ मिट्टी और जलवायु के अनुरूप बड़े हो जाते हैं, लेकिन कुछ पेड़ों को देखभाल के साथ-साथ निगरानी की भी सख्त जरूरत होती है. जरा-सी लापरवाही (Agriculture Tips) और किसान की खेती में नुकसान हो सकता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि नकदी खेती में शामिल यूकेलिप्टस यानी नीलगिरी का पेड़ खेती योग्य जमीन के लिए खास अच्छा नहीं होता. यूकेलिप्टस का पेड़ 5 साल में तैयार हो जाता है, इसलिए किसान खेत की मेड़ पर इसके कई पेड़ लगवाते हैं, लेकिन ये पेड़ मिट्टी के पोषक तत्वों के साथ पानी को भी तेजी से सोख लेते हैं.
कहाँ लाभकारी होता है ये पेड़, आखिर क्यों होती इसकी खेती : Agriculture Tips
यूकेलिप्टस की करीब 600 प्रजातियां मिल जाएगी. यदि यूकेलिप्टस के पेड़ों से कमाई करना ही चाहते हैं तो नदी, नहर या तालाब के आस-पास ही लगाना फायदेमंद रहेगा.दलदली जमीन को सुखाने और समान्य बनाने के लिए ही नीलगिरी के पेड लगाने का चलन था, लेकिन अब कमाई के चक्कर में इन पेड़ों की तादात बढ़ती जा रही है और ये पर्यावरण के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे हैं.ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में भी यूकेलिप्टस काफी संख्य में पाए जाते हैं. उत्तरी और दक्षिणी अफ्रीका में भी यूकेलिप्टस पेड़ों की खेती हो रही है. इस पेड़ की लंबाई काफी ज्यादा होते हैं, लेकिन ये पेड़ पतले भी होते हैं. इस पेड़ की पत्तियां काफी नुकीली होती हैं.
पर्यावरण के लिए चुनौती साबित हो रहे हैं ये पेड़
कई मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि जिन इलाकों में यूकेलिप्टस यानी नीलगिरी की खेती की जा रही थी, वहां भूजल स्तर गिरता जा रहा है. यही वजह है कि कई इलाकों को डेंजर जोन भी घोषित कर दिया गया है. पिछले कुछ सालों में किसानों ने हजारों नीलगिरी के पेड़ों लगाए हैं, ताकि एक समय के बाद अच्छी आमदनी हो जाए, लेकिन थोड़ा मुनाफा लंबे समय के लिए दिक्कत पैदा कर सकता है.