बाबरी ढांचा ढहने के 30 वर्ष : इतिहास के पन्नों में में यह भयावह दिन,जिससे भड़क उठी थी सांप्रदायिक दंगों की आग

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बाबरी मस्जिद के गुम्बदों पर चढ़े लोग

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Babri Demolition: 6 दिसम्बर 1992 की वह घटना जिसके बाद देश में सांप्रदायिक दंगों की आग भड़क उठी,इन दंगों में बहुत भारी नुकसान हुआ,सैकड़ों ने अपनी जान गंवाई, भारतीय इतिहास का एक ऐसा दिन जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है, दोनों पक्षों के लोग आज भी जब ये दिन याद करते हैं तो उनकी रूह अंदर से काँप उठती है.

कारसेवा के लिए इकट्ठे हुए थे लोग

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली पर कारसेवक हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए थे, कारसेवकों का उद्देश्य था कि प्रभु श्री राम की जन्मस्थली मंदिर निर्माण के लिए सांकेतिक नींव रखेगें,अचानक उग्र हुई भीड़ मस्जिद के गुम्बदों पर चढ़ गई और बाबरी मस्जिद को गिरा दिया,यही वो घटना है जिसने इस विवाद को जन्म दिया.

न्यायालय ने मंदिर निर्माण के लिए दिया फैसला

श्री राम जन्मभूमि vs बाबरी मस्जिद का विवाद कई दशकों तक विचाराधीन रहा जिले की अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दोनों पक्षों ने इसे लड़ा, अंत में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि राम लला को दे दी,फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.

भव्य मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर

न्यायालय के फैसले के बाद पूरे विधि विधान से भूमि पूजन हुआ, राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र की देखरेख में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण हो रहा है,प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण में आम जनता ने पूरे मन से सहयोग किया है.

न्यायालय के फैसले से दोनों पक्षों के लोग संतुष्ट थे,बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने न्यायालय के फैसले की सराहना की, न्यायालय के फैसले पर प्रदेश में कोई भी संप्रदाय उग्र नहीं हुआ,कुछ संगठन बाबरी मस्जिद गिरने को शौर्य दिवस कहते हैं,तो वहीं दूसरी ओर कुछ संगठन इसे इतिहास का काला दिन कहते हैं.

 

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