प्रधानमंत्री ने तमाम चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों को किया संबोधित, अंडर ट्रायल केसस को मध्यस्थता से जल्द करे समाधान

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प्रधानमंत्री ने तमाम चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों को किया संबोधित, अंडर ट्रायल केसस को मध्यस्थता से जल्द करे समाधान

प्रधानमंत्री ने तमाम चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों को किया संबोधित, अंडर ट्रायल केसस को मध्यस्थता से जल्द करे समाधान

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प्रधानमंत्री ने तमाम चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों को किया संबोधित, अंडर ट्रायल केसस को मध्यस्थता से जल्द करे समाधान.

आज दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने तमाम हाई कोर्ट के जजों संग मुख्यमंत्रियों को संबोधित किया। इनके साथ इस कार्यक्रम में CJI एनवी रमना और कानून मंत्री किरण रिजूजू भी मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजूजू ने कहा- यह कार्यक्रम सरकार और ज्यूडिशियरी के बीच ईमानदार और कंस्ट्रक्टिव बातचीत का यह एक अनूठा मौका है। इससे लोगों को ठोस न्याय दिलाने में मदद मिलेगी।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने जजों से न्यायिक प्रक्रिया में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने की अपील की। इसके साथ ही उन्होनें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की बात भी कहीं। उन्होनें कहा कि इससे देश के आम नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। देश में 3.5 लाख कैदी अंडर ट्रायल हैं, इनके मसले को निपटाने पर जोर दिया। पीएम ने कहा इनमें से अधिकांश लोग गरीबी या सामान्य परिवारों से हैं। हर जिले में डिस्ट्रिक्ट जज की अध्यक्षता में एक कमेटी होती है, ताकि इन केसों की समीक्षा हो सके। मोदी ने कहा कि जहां संभव हो, बेल पर उन्हें रिहा किया जा सके। मैं सभी मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के जजों से अपील करना चाहूंगा कि मानवीय संवेदनाओं और का और कानून के आधार पर इन मामलों को भी संभव हो तो प्राथमिकता दी जाए। मोदी ने कहा कि इसी तरह न्यायालयों और खासकर स्थानीय स्तर पर लंबित मामलों के समाधान के लिए मध्यस्थता भी एक महत्वपूर्ण जरिया है।

मोदी ने आगे कहा- मौजूदा समय और भी ज्यादा खास है। यह आयोजन ऐसे समय मे हो रहा है, जब देश आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है। जब हमारी आजादी के 100 साल पूरे हों तब एक ऐसी न्याय व्यवस्था बनाई जाए, जो बेहतर हो। ज्यूडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए व्यापक काम हो रहा है। राज्य भी बेहतरीन काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा आजादी के इन 75 सालों ने ज्यूडिशियरी और एग्जक्यूटिव, दोनों के ही रोल्स और रिसपाॉन्सिबलिटी को निरंतर स्पष्ट किया है। जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये संबंध लगातार विकसित हुआ है। हम देश में जजों की संख्या को पूरा करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं लेजिस्लेचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम और संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोड मैप तैयार करेगा।

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