Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में बड़ा राजनीतिक उलटफेर,क्या 2024 मे बनेगा नया गठबंधन

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Uttar Pradesh

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय, एक हुए चाचा-भतीजा

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) उप-चुनाव में राजनीतिक गणित बड़ा अलग दिखाई दिया. पूरा यादव कुनबा एक साथ कदम मिलाकर चल रहा था. अखिलेश गालियों में वोट माँग रहे थे. अखिलेश की मेहनत सफल हुई. डिम्पल यादव की रिकॉर्ड जीत हुई. दूसरी ओर जयंत चौधरी भी भाजपा को घेरने मे कामयाब रहे. खतौली विधानसभा में राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की.

Uttar Pradesh :चाचा शिवपाल ने नेताजी को नमन कर अपनी पार्टी को समाजवादी पार्टी के साथ विलय कर दिया

 

नेता जी के छोटे भाई शिवपाल यादव ने जीत की शुभकामनाएं दीं. इस पूरे चुनाव की कमान शिवपाल के हाथों में थी. अखिलेश और डिम्पल ने चाचा का आशीर्वाद लिया. शिवपाल यादव ने कहा कि यह जीत नेता जी को श्रद्धांजलि है. शिवपाल यादव नें अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया. अखिलेश ने शिवपाल को समाजवादी पार्टी का झंडा भेंट किया.

पारिवारिक मतभेदों ने पार्टी को जन्म दिया,साथ बैठते ही पार्टी खत्म हो गई :Uttar Pradesh

2017 में यादव परिवार में आपसी फूट ने जन्म लिया. 5 वर्ष मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश की अपने पिता से ठन गई. नेता जी का शिवपाल के लिए विशेष स्नेह था. आपसी फूट के कारण शिवपाल ने खुद को अलग कर लिया. अखिलेश के खिलाफ बिगुल बजा दिया. शिवपाल यादव ने नई पार्टी बनाई. विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन 2017 में खास नहीं कर पाए. उसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में साथ आए लेकिन बोले हमे अपमान मिला है. अब 2022 में नेताजी के निधन के बाद मैनपुरी चुनाव की कमान संभाली. जीत के बाद अपनी पार्टी का विलय कर दिया. शिवपाल ने कहा कि यह नेता जी का सपना था. नेता जी का सपना पूरा हुआ.

बिना गठबंधन ही साथ दिखे चन्द्रशेखर,क्या यह बनाएगा नया समीकरण

आजाद समाज पार्टी के मुखिया चन्द्रशेखर भी साथ रहे. उपचुनाव में मदन भैया के पक्ष में जनसंपर्क किया. उन्होंने कहा कि हम संविधान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. पत्रकार ने कहा कि क्या आप गठबंधन में हैं. उन्होंने कहा नहीं जयंत चौधरी भाई है. हम जयंत चौधरी के साथ हैं. भले ही यह उपचुनाव गठबंधन ना हो लेकिन यह आने वाले चुनाव में दिखेगा. आने वाले लोकसभा चुनाव में एक नया गठबंधन बन सकता है.

यदि देखा जाए तो यह एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर है. ये उपचुनाव वास्तव में लोकसभा के चुनाव में रंग दिखाएगा.

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