रूस की नई विदेश निति से भारत पर क्या पड़ेगा असर, आखिर कैसे करीब आ गया चीन
Russia New Foreign Policy : यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बीच रूस ने बीते 31 मार्च को अपनी नई विदेश नीति तय की है. इस विदेश नीति के साथ ही रूस ने इससे जुड़ा एक स्ट्रैटेजिक डॉक्यूमेंट भी जारी किया है. भारत के सबसे बड़े डिफेंस पार्टनर रूस ने अपनी नई विदेश नीति में भारत और चीन को लेकर काफ़ी कुछ कहा है.
कहा जा रहा कि इस नई विदेश नीति को वर्तमान में चल रही परिस्थिति और राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीति के हिसाब से बनाया गया है. हालांकि, इसमें पश्चिमी देशों को खतरा भी बताया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस नई नीति का भारत-रूस रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा और रूस की नई विदेश नीति में पश्चिमी देशों के लिए क्या कुछ है?
चीन के साथ बढ़ते संबंध पर क्या है नई विदेश नीति : Russia New Foreign Policy
चीन के साथ बढ़ते संबंध पर इस दस्तावेज में कहा गया कि मास्को का लक्ष्य बिजींग के साथ व्यापक साझेदारी, रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करना है. यूरेशियन रीजन के विकास में भी रूस ने चीन के भूमिका को बढ़ावा देने की बात कही है. ऐसे में साफ है कि ये दोनों देश तेजी के करीब आ रहे हैं.
बता दें कि हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस की यात्रा की थी. माना जा रहा था कि यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच इस यात्रा से रूस का झुकाव चीन की ओर बढ़ेगा. दोनों देशों के बढ़ते रिश्तों का आलम ये है कि पुतिन ने हाल ही में कहा था कि चीनी राष्ट्रपति शी के प्लेन से ये युद्ध समाप्त हो सकता है.
नई विदेश नीति का भारत पर क्या होगा असर
रूस और भारत के रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं. दोनों देशों ने कई मौके पर एक दूसरे की मदद कर पिछले कुछ दशकों में इस रिश्ते को और मजबूत भी किया है. उदाहरण के तौर पर यूक्रेन युद्ध को ही ले लीजिए, इस युद्ध की शुरुआत से पूरी दुनिया रूस के खिलाफ हो गई थी और भारत के रूस की आलोचना का दबाव बनाया गया था. हालांकि भारत उस वक्त भी अपनी दोस्ती निभाते हुए हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर न्यूट्रल रहा.
यही सब कारण है कि रूस भारत को अपने मित्र देशों में गिनता है. और लगातार भारत को सस्ती दर पर कच्चा तेल बेच रहा है. अब शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए विदेश नीति में कहा गया कि रूस भारत के साथ विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना जारी रखेंगे. इसके अलावा कहा गया है कि भारत के साथ रूस पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएगा.
इसमें शंघाई कॉरपोरेशन, रूस-भारत-चीन, ब्रिक्स और दूसरे ऐसे संगठनों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है जिसमें पश्चिमी देशों की कोई भूमिका नहीं है.
रूस ने अपनी नई विदेश नीति के तहत भारत के साथ क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और विस्तार करने के साथ साथ. द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने, निवेश और तकनीकी संबंधों को मजबूत पर जोर देने की बात कही है.