Karnataka New CM : जानिए कर्नाटक में क्यों बिगड़ा डीके शिवकुमार का खेल, कमज़ोर हुई दावेदारी सिद्धारमैया ने बाजी मारी
Karnataka New CM : कांग्रेस ने कर्नाटक में बड़ी जीत हासिल की और सीएम पद के लिए काफी लंबी खींचतान चली. जिसके बाद आलाकमान ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य माना. डीके शिवकुमार को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन आलाकमान ने उनके नाम की घोषणा नहीं की. 18 मई को केवल सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, कैबिनेट का गठन बाद में होगा.अब सवाल ये है कि आखिर वो कौन से फैक्टर रहे जो डीके शिवकुमार के खिलाफ गए और सिद्धारमैया ने कैसे उनका खेल बिगाड़ दिया.
सीमित जनाधार वाले नेता : Karnataka New CM
डीके शिवकुमार का मुख्यमंत्री की रेस में पिछड़ने का दूसरा बड़ा कारण ये था कि उनका सीमित जनाधार है. क्योंकि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, ऐसे में उनकी इस समुदाय पर काफी अच्छी पकड़ है. खासतौर पर ओल्ड मैसूर में डीके का बड़ा जनाधार है, लेकिन इसके अलावा बाकी जिलों में डीके का जलवा नहीं दिखता है. बाकी किसी भी समुदाय का समर्थन डीके के पक्ष में नहीं है. वहीं उन्हें रेस में पछाड़ने वाले सिद्धारमैया का जनाधार लगभग सभी तबको में है, खासतौर पर वो दलितों और पिछड़ों के बीच काफी हिट हैं.
विधायकों का समर्थन
कर्नाटक में भले ही डीके शिवकुमार ने पार्टी के लिए काफी मेहनत की हो, लेकिन जहां तक विधायकों पर पकड़ की बात है, उसमें वो काफी पीछे हैं. बताया गया कि डीके शिवकुमार के पास करीब 40 विधायकों का ही समर्थन था. ये भी एक बड़ा कारण था कि उनका खेल बिगड़ गया. क्योंकि राहुल गांधी ने पहले ही ये बात कही थी कि जिस नेता के समर्थन में विधायक होंगे, उसे ही पद दिया जाएगा. सिद्धारमैया विधायकों को अपने पाले में करने के माहिर माने जाते हैं, 2013 में भी उन्होंने खरगे को ऐसे ही मात दी थी. इस बार भी सिद्धारमैया के पास करीब 90 विधायकों का समर्थन था.
वरिष्ठता के मामले में भी पिछड़े
डीके शिवकुमार का राजनीतिक करियर भी उनके सीएम नहीं बनने के बीच आया. साल 2004 में ही कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में सिद्धारमैया को डिप्टी सीएम बना दिया गया. इससे पहले उन्होंने जेडीएस के लिए एक बड़े नेता के तौर पर काम किया. वहीं कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनकी अहिंदा यानी मुस्लिम, दलित और पिछड़े वर्ग की पॉलिटिक्स काफी पॉपुलर रही. इसके बाद सिद्धारमैया कर्नाटक के दूसरे ऐसे सीएम बने जिसने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. यानी कुल मिलाकर सरकार चलाने का अनुभव और राजनीतिक दांव-पेंच के मामले में डीके शिवकुमार पिछड़े नजर आए.