Khaap Panchayat : क्या होती है खाप पंचायत, जिसके फैसले के सहारे आंदोलन पर बैठे हैं पहलवान, क्यों है खाप का दबदबा??
Khaap Panchayat : खाप एक सोशल एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम है. जिसे एक गोत्र या जाति के लोग मिलकर खाप पंचायत बनाते हैं. इन्हे कानून के मान्यता प्राप्त नहीं है फिर भी खाप पंचायते अपने गांव से जुड़े मसलों में फैसले सुना देते और लोग उसे मानाने के लिए बाध्य भी होते हैं.उत्तर भारत खासकर हरियाणा में खाप पंचायत का दबदबा है.
यह पंचायत सदियों से चली आ रही है. यह एक पारंपरिक पंचायत है को हमेशा से उग्र रूप में देखी जाती रही है. इसके सदस्य खुद को चीफ जस्टिस समझ लेते हैं मगर कानून और सरकार की तरफ से इन्हे किसी भी प्रकार की छूट या मान्यता नहीं दी गई है. खाप दो शब्दों से मिलकर बना है. ख और आप. ख का अर्थ है आकाश और आप का अर्थ है पानी. यानी आकाश की तरह सर्वोपरि और पानी की तरह स्वच्छ.
कब शुरू हुई खाप पंचायत : Khaap Panchayat
शुरुआत राजा हर्षवर्धन के शासनकाल से मानी जाती है. इतिहासकारों का कहना है कि सन् 643 में कन्नौज में क्षत्रियों का बड़ा जुटान हुआ था. इसका नाम हरियाणा सर्वखाप पंचायत रखा गया था. बता दें कि राजा हर्षवर्धन के शासनकाल में हरियाणा पूर्व में देहरादून, मैनपुरी, बरेली तो पश्चिम में गंगनहर तक और उत्तर में सतलज नदी तक तो दक्षिण में चंबल नदी तक फैला हुआ था. उस समय की सर्वखाप पंचायत में 300 खाप और संगठन शामिल हुए थे. इसी सर्वखाप पंचायत में थानेसर के सम्राट हर्षवर्धन का कन्नौज के राजा के तौर पर राज्याभिषेक भी किया था. उस समय सर्वखाप के केंद्रों में थानेसर, दिल्ली, रोहतक और कन्नौज शामिल थे.
खाप महापंचायत क्या है?
पंचायतों में पुरुषों का बर्चस्व रहता है. इनमें महिलाओं का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता है. खापों के संगठन व नेता सामाजिक प्रभुत्व के आधार पर चुने जाते हैं. वैसे तो खाप पंचायतें पूरे देश में मौजूद हैं. फिर भी हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इनका ज्यादा प्रभाव है. महापंचायत को सर्व खाप पंचायत भी कहा जाता है. जब भी किसी सामूहिक मुद्दे पर फैसला लेना होता है तो कई खापें अपने प्रतिनिधि को शामिल कर सर्व खाप बनाती हैं. इसके बाद उस मुद्दे पर चर्चा और फैसले के लिए महापंचायत बुलाई जाती है. महापंचायत का फैसला सभी खाप स्वीकार करती हैं.
विवादों में भी रही हैं ‘खाप’
खाप पंचायतें प्राचीन समाज का रूढ़िवादी हिस्सा मानी जाती हैं. ये कई मामलों में आधुनिक समाज और जीने के बदलते हुए पैमानों के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम नजर आती रही हैं. यहां बुजुर्गों के लिए फैसले सभी को मानने होते हैं. युवाओं को खाप पंचायतों में बोलने तक की अनुमति नहीं दी जाती है. कई बार देखा गया है कि खाप पंचायतों ने प्रेम विवाह या एक गोत्र में शादी करने वालों के खिलाफ ऐसे फैसले दिए हैं, जो समाज को शर्मसार करने के लिए काफी हैं. कई बार इनका नाम इज्जत के नाम पर की गई हत्याओं में भी उछला है.