ईवीएम की सुरक्षा को लेकर अवध टीवी ने किया एक पड़ताल

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सुरक्षा: स्ट्रॉन्ग रूम कितना होता है स्ट्रॉन्ग?,
राजनैतिक पार्टियां कैसे उड़ाती है ईवीएम को लेकर अफवाहे!

स्ट्रॉन्ग रूम का मतलब है कि ऐसा कमरा जहाँ की सुरक्षा अचूक है और अनाधिकारिक लोगों की पहुँच असंभव है।
भारत के चुनाव में स्ट्रॉन्ग रूम का मतलब निष्पक्ष और पारदर्शी मतदान और वोटों की गिनती से है।
मतदान के बाद ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाती है और इनकी सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से चाक-चौबंद रहता है।

स्ट्रॉन्ग रूम में ईवीएम की सुरक्षा चुनाव आयोग तीन स्तरों पर करता है:
देश भर में इसकी सुरक्षा के लिए केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती रहती है।
केंद्रीय बल स्ट्रॉन्ग रूम के भीतर की सुरक्षा देखते हैं जबकि बाहर की सुरक्षा राज्य पुलिस बलों के हाथों में होती है।

स्ट्रांग रूम की निगरानी कितनी कड़ी:
स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा की निगरानी ज़िले के डीएम और एसपी के हाथों में होती है।
स्ट्रॉन्ग रूम की सीलिंग के वक़्त राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं. इन प्रतिनिधियों को भी अपनी तरफ़ से सील लगाने का प्रावधान होता है।
स्ट्रॉन्ग रूम में केवल एक तरफ़ से एंट्री होनी चाहिए और इसमें डबल लॉक सिस्टम होता है. एक चाबी रिटर्निंग ऑफिसर के पास होती है और दूसरी चाबी संबंधित लोकसभा क्षेत्र के असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास होती है।
अगर किसी स्ट्रॉन्ग रूम कोई दूसरी एंट्री है, वो चाहे खिड़की ही क्यों न हो तो इसे सुनिश्चित करना होता है कि इससे किसी की पहुंच स्ट्रॉन्ग रूम तक ना हो. नरेन्द्र पंडित की रिपोर्ट।

लगातार जारी रहता है कैमरो से पहरा:
स्ट्रॉन्ग रूम के एंट्री पॉइंट पर सीसीटीवी कैमरा होता है. सुरक्षा बलों के पास एक लॉग बुक होती है जिसमें हर एंट्री का टाइम, तारीख़, अवधि और नाम का उल्लेख अनिवार्य रूप से करना होता है।
चाहें वह पर्यवेक्षक, एसपी, राजनीतिक पार्टी, प्रत्याशी, एजेंट या कोई अन्य व्यक्ति ही क्यों ना हो।
अगर काउंटिंग हॉल स्ट्रॉन्ग रूम के पास है तो दोनों के बीच एक मज़बूत घेरा होता है ताकि स्ट्रॉन्ग रूम तक कोई चाहकर भी पहुंच न सके।

इन सारे मानकों का पालन हर हाल में करना होता है तभी चीज़ें आगे बढ़ती हैं।
वहीं अगर काउंटिंग हॉल और स्ट्रॉन्ग रूम के बीच ज़्यादा दूरी है तो दोनों के बीच बैरकेडिंग होनी चाहिए और इसी के बीच से ईवीएम काउंटिंग हॉल तक पहुंचनी चाहिए।
वोटों की गिनती के दिन अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए जा सकते हैं।
स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग हॉल तक ईवीएम ले जाने को रिकॉर्ड किया जाएगा ताकि कोई फेरबदल ना हो। नरेन्द्र पंडित की रिपोर्ट।
स्ट्रॉन्ग रूम और काउंटिंग हॉल की लोकेशन को लेकर भी कई मानक हैं।

क्या नहीं होना चाहिए:
बेसमेंट, उसके पास कोई छत, किचन या कैंटीन, पानी टंकी और पंप रूम नहीं होने चाहिए।
इसके अलावा सभी प्रत्याशियों को लिखित में सूचित किया जाता हैकि वो अपने प्रतिनिधि को भेजकर सुनिश्चित हो जाएं कि स्ट्रॉन्ग रूम सुरक्षित है।

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