Ashoka Imprints on Moon : जानिए कैसे रोवर प्रज्ञान ने चांद पर छोड़े अशोक स्तंभ और इसरो (ISRO) के अमिट निशान

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Ashoka Imprints on Moon : 14 जुलाई को लांच किया गया Chandrayan-3, 23 अगस्त शाम 6:04 पर चंद्रमा की सतह पर लैंड कर गया. लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान निकला. लैंडिंग के करीब ढाई घंटे बाद प्रज्ञान बाहर आया, धूल के पूरी तरह से खत्म होने के बाद प्रज्ञान को इसरो ने विक्रम से बाहर निकाला. प्रज्ञान ने चांद पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान छोड़ दिए हैं. लैंडर विक्रम की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अगला कदम उसकी गोद में बैठे प्रज्ञान रोवर को बाहर निकलना ही था. अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो चांद पर खोजबीन का असली मिशन अब शुरू होगा.

इसरो के मुताबिक रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से बाहर आ गया और उसने चांद पर अशोक स्तंभ और ISRO के निशान छोड़ दिए हैं. प्रज्ञान 14 दिन तक चांद पर रहकर स्टडी करेगा और डाटा कलेक्ट करके लैंडर विक्रम को भेजेगा. यहां से सभी जानकारियां धरती पर बैठे वैज्ञानिकों को प्राप्त होगी.

लैंडिंग के ढाई घंटे बाद क्यों बाहर आया रोवर प्रज्ञान?


चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान काफी धूल उड़ने लगी. वहां गुरुत्वाकर्ष्ण पृथ्वी की तुलना में काफी ज्यादा कम है, जिसकी वजह से पृथ्वी की तरह वहां जल्दी धूल नीचे बैठती नहीं है. इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले धूल के बैठने का इंतजार किया और फिर रोवर को नीचे उतारा. अगर उसको लैंडिंग के तुरंत बाद ही उतार दिया जाता तो इसके कैमरों पर धूल जमा हो जाती और रोवर में लगे उपकरणों को भी नुकसान हो सकता था. रोवर को मिशन पूरा करने में समस्या हो सकती थी.

रोवर प्रज्ञान कैसे चांद पर छोड़ रहा देश के निशान? Ashoka Imprints on Moon

रोवर प्रज्ञान जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वह चांद की धरती पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान छोड़ता जा रहा है. प्रज्ञान के पहियों पर इसरो और अशोक स्तंभ के निशान बने हैं, तो जैसे-जैसे वह आगे बढ़ेगा चांद की धरती पर ये निशान छोड़ता जाएगा. इसरो ने चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिग से पहले इसकी जानकारी दी थी. इसमें रोवर के एक तरफ के पहियों पर इसरो का निशान है और दूसरी तरफ के पहियों पर अशोक स्तंभ का निशान बना है.

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