आज भी अंग्रेजों के कब्जे में है देश का ये रेलवे लाइन, हर साल भारत सरकार करोड़ों में चुकाती है रॉयल्टी
British Railway Line In India : भारत को रेल अंग्रेजों ने ही दिया इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन उन्होंने भारत में रेलवे का निर्माण इसलिए किया ताकि वह आसानी से हिंदुस्तान से लूटे हुए सामान को बंदरगाहों तक पहुंचा सकें, जहां से उन्हें इंग्लैंड ले जाया जा सके. इसके साथ ही एक जगह से दूसरी जगह तक सुरक्षित और तेजी से पहुंचने के लिए भी अंग्रेजों ने रेलवे का निर्माण किया.
लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो उसके साथ अंग्रेजों का यह रेल भी भारतीय रेलवे बन गया. इसमें कई बदलाव भी हुए. समय-समय पर इसे बेहतर बनाने का काम किया गया. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी भारत में एक रेल लाइन ऐसी है जो आज भी अंग्रेजो के कब्जे में है. इस रेल लाइन के लिए हर साल अंग्रेजों को करोड़ों रुपए की रॉयल्टी दी जाती है. भारत सरकार ने इस रेलवे ट्रैक को कई बार खरीदने की कोशिश की लेकिन आज तक नहीं खरीद पाई.
रेल ट्रैक का मालिक कौन??
साल 1952 में जब भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ तो उसके बाद भी देश का एक रेलवे ट्रैक ऐसा बच गया जो इसमें शामिल नहीं हो पाया. दरअसल, यह रेलवे ट्रैक एक ब्रिटिश कंपनी के मालिकाना अधिकार में आता है. आज भी इस पर उसी का अधिकार है. इसीलिए ब्रिटेन की क्लिक निक्सन एंड कंपनी की भारतीय इकाई, सेंट्रल प्रोविजंस रेलवे कंपनी को हर साल करोड़ों रुपए की रॉयल्टी देती है.
70 साल तक भाप के इंजन से चलती रही : British Railway Line
यह ट्रेन पिछले 70 सालों तक भाप के इंजन से चलती रही. लेकिन साल 1994 के बाद भाप के इंजन को बदलकर डीजल का इंजन कर दिया गया. इसके साथ ही इस ट्रेन की बोगियों की संख्या भी अब बढ़ाकर 7 कर दी गई है. अचलपुर से यवतमाल के बीच कुल 17 स्टेशन पड़ते हैं और यह ट्रेन हर स्टेशन पर रूकती है. 190 किलोमीटर का सफर तय करने में इस ट्रेन को लगभग 6 से 7 घंटे लगते हैं. हालांकि, कुछ कारणों से यह ट्रेन फिलहाल बंद पड़ी है. लेकिन टूरिस्ट इस रेलवे ट्रैक को देखने के लिए आज भी अचलपुर से यवतमाल तक आते हैं.