आखिर कैसे चंद्रयान-3 की मदद कर रहा है चंद्रयान-2? लैंडिंग के लिए जगह ढूंढने में की खास मदद

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Chandrayan-2 Helped Chandrayan-3 Mission
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Chandrayan-2 Helped Chandrayan-3 Mission : देश के लिए ये वास्तव में गौरव का क्षण है. भारत का चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल (LM) चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और इतिहास रचने को तैयार है. इसरो ने कहा है कि लैंडर की बुधवार (23 अगस्त) को शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की सतह पर उतरने की उम्मीद है. चांद की ओर बढ़ रहे चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के ऑर्बिटर से संपर्क हो गया है.

इसरो ने इस बारे में सोमवार (21 अगस्त) को ट्वीट कर जानकारी दी. इसरो ने लिखा, “स्वागत है दोस्त- चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया. दोनों के बीच दोतरफा संवाद स्थापित हो गया है. अब लैंडर मॉड्यूल से संपर्क में रहने के ज्यादा रास्ते हैं. लैंडिंग का सीधा प्रसारण बुधवार को शाम 5:20 बजे शुरू होगा.”

भारत का अगर मिशन Chandrayan-3 सफल हुआ तो ये स्वर्णिम इतिहास की एक अमिट पंक्ति होगी, जिसे आने वाले समय में हमारे देश की पीढ़ियां प्रेरणा के रूप में देखेंगी और चांद से करीबी का सपना साकार करेंगी।

चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर कर रहा मदद : Chandrayan-2 Helped Chandrayan-3 Mission

दरअसल, भारत का चंद्रयान-2 का लैंडर साल 2019 में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करते वक्त क्रैश हो गया था. हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से ही चांद की परिक्रमा कर रहा है और इसने चंद्रयान-3 मिशन में काफी सहायता की है.

सुरक्षित लैंडिंग की जगह में सहायता की

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर लैंडर मॉड्यूल के साथ कम्यूनिकेशन कर रहा है. इसके जरिए ग्राउंड स्टेशन तक सिग्नल भी पहुंचेगा. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने पहले ही चंद्रयान-3 लैंडर के लिए सुरक्षित लैंडिंग के लिए जगह की पहचान करने में भी अहम भूमिका निभाई है.

 

इसरो ने सोमवार को लैंडर के एलएचडीएसी कैमरे में कैद की गई चंद्रमा के कई तस्वीरें भी जारी की हैं. चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था और इसका मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की उपलब्धि हासिल करना है.

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