ऐसे ही भारतीय सेना को नहीं कहते हैं देवदूत, अपनी नवजात बच्ची को छोड़ तुर्की राहत बचाव कार्य में लगा भारतीय जवान
भारतीय सेना (Indian Army) पश्चिमी एशियाई देश तुर्किए में रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है. हवलदार राहुल चौधरी भी इस 99 सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं. उनकी पत्नी की 8 फरवरी को सिजेरियन सर्जरी होने जा रही थी लेकिन उन्होंने लोगों की सेवा करना और उन्हें मदद पहुंचाना ज्यादा जरूरी समझा. एक आदेश के बाद अपना बैग पैक किया और अपनी टीम में शामिल होने के लिए निकल गए.
हवलदार राहुल चौधरी ने बताया कि जैसे ही वह फ्लाइट पर बैठे जानकारी मिली कि उनकी पत्नी को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया है और फ्लाइट से उतरते ही उन्हें बेटा होने की खबर मिली. अब सेना के अस्पताल में उनके सहयोगी और दोस्त चाहते हैं कि वह अपने बच्चे का नाम ‘तुर्की चौधरी’ रखें. उनका कहना है कि उनके लिए यह सबसे भावुक पल था.
6 फरवरी को आया था भीषण भूकंप
तुर्किए और सीरिया में 6 फरवरी को 7.8 तीव्रता का भूकंप आने के बाद यहां हालात गंभीर हो गए थे. एक तरफ भारत भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य में मदद के लिए अपने जवानों को यहां भेज रहा था. दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के हापुड़ के रहने वाले चौधरी अपने बच्चे का दुनिया में स्वागत करने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उन्हें अपने परिवार को छोड़ तुर्किए जाना तुर्किए और सीरिया में अब तक 36 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, घायलों की संख्या 80 हजार के करीब हो गई है. मलबे में दबे लोगों को बचाने का अभियान अब भी जारी है. हालांकि सीरियाई बॉर्डर से 3 देशों की आपदा-राहत एवं बचाव टीमों को लौटना पड़ गया है.
जाने से पहले की पत्नी से बात : Indian Army
चौधरी ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह अपने सीनियर्स के पास गए और उन्होंने अपनी पत्नी की सिजेरियन सर्जरी के बारे में बताया. सीनियर्स ने उन्हें पत्नी से बात करने की सलाह दी. जब उन्होंने अपनी पत्नी से बात की तो उनकी पत्नी ने कहा कि वह पहले अपनी टीम के साथ जाएं क्योंकि सबसे पहले देश की सेवा करनी चाहिए.