Jallianwala Bagh Hatyakand : 104 वर्ष पहले 13 अप्रैल 1919 को कैसे जनरल डायर के एक आदेश ने ले ली थी हजारों निहत्थों की जान
Jallianwala Bagh Hatyakand : भारत के इतिहास में आज का दिन यानी 13 अप्रैल गुस्से की भावना मन में जगा देता है. आज भी जलियांवाला कांड को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है. भारत के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था. इस दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में खून की होली खेली गई थी.
जलियांवाला हत्याकांड के 104 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन फिर भी इसके जख्म लोगों के दिलों में ताजा हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस हत्याकांड के खिलाफ हड़ताल की घोषणा कर दी थी. इसके अलावा महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया था. इस घटना की वजह से साइमन कमीशन का भी गठन हुआ था.
क्या है 13 अप्रैल का पूरा घटनाक्रम : Jallianwala Bagh Hatyakand
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में दो राष्ट्रवादी नेताओं सत्य पाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे. जहां अचानक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ पार्क के अंदर आ गया था और लोगों को चेतावनी दिए बिना उसने अपने सैनिकों को दस मिनट के लिए ताबड़तोड़ गोली चलाने का आदेश दे दिया. कहा जाता है कि दस मिनटों में हजारों लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हुए थे. आज भी इस हत्याकांड के निशान जलियांवाला बाग की दीवारों पर देखे जा सकते हैं. ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, कर्नल रेजिनाल्ड डायर की ओर से चलवाई गईं अंधाधुंध गोलियों में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित 388 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए थे.
उधम सिंह ने लिया था बदला
इस घटना के 21 साल बाद 13 मार्च को उधम सिंह ने बदला ले लिया था. उधम सिंह ने एक भरे हॉल में जनरल डायर को गोली मार दी थी. डायर रिटायर होने के बाद लंदन चला गया था. 1940 में उसने कॉक्सटन हॉल में हुई बैठक में हिस्सा लिया था. इस बैठक में उधम सिंह भी पहुंच गए थे. डायर के भाषण देने के लिए जाते समय उधम सिंह ने गाली चला दी थी, जिसकी वजह से डायर की मौके पर मौत हो गई थी.