Sharad Yadav : इंजीनियर से लेकर राजनेता बनने तक कैसा रहा शरद यादव का सफर, कई बार लोकसभा और राज्यसभा में रहे सदस्य
महज 27 वर्ष की आयु में शरद यादव (Sharad Yadav) लोक सभा के सदस्य चुने गए. उन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में अपना राजनीतिक वर्चस्व बनाया. भारतीय राजनीति और समाजवादी वर्ग की एक बुलंद आवाज गुरुवार, 12 जनवरी, 2023 को खामोश हो गई. जेडीयू के पूर्व वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शरद यादव नहीं रहे. शरद भले का जन्म भले ही मध्य प्रदेश में हुआ हो लेकिन उनकी छात्र राजनीति में कॉलेज की पंचायत से लेकर लोक तंत्र की सबसे बड़ी अदालत संसद तक उनकी आवाज गूंजती रही.
पढ़ाई में काफी होशियार शरद (Sharad Yadav) इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे
शरद बाल्यकाल से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे. अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने इंजीनियर बनने का सपना देखा था. इसके लिए उन्होंने मध्य प्रदेश के जबलपुर के ही इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया और बीई की डिग्री ली. शरद इस दौरान राजनीति से प्रभावित हुए थे. और उन्होंने न केवल कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (रॉबर्ट्सन मॉडल साइंस कॉलेज) के छात्र संघ अध्यक्ष भी चुने गए. वे एक कुशल वक्ता भी थे. उन्होंने अपनी डिग्री गोल्ड मेडल के साथ पूरी की थी.
डॉ. लोहिया के विचारों से मिली प्रेरणा, 27 की उम्र में बने सासंद
जब शरद यादव छात्र राजनीति में मशगूल थे तब देश में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के लोकतंत्र वाद और डॉ. राम मनोहर लोहिया के समाजवाद की क्रांति की लहरें परवान चढ़ रही थीं. शरद यादव भी इनसे खासे प्रभावित हुए. डॉ. लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रेरित होकर शरद ने अपने मुख्य राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. युवा नेता के तौर पर सक्रियता से कई आंदोलनों में भाग लिया और आपातकाल के दौरान मीसा बंदी बनकर जेल भी गए.
वे कुल सात बार लोकसभा सांसद रहे जबकि तीन बार राज्य सभा सदस्य चुने गए. वे 27 साल की उम्र में पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट और बाद में बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से भी सांसद चुने गए.
केंद्र सरकार में उन्होंने कई अहम पदों की जिम्मेदारी को संभाला था.