श्वेता सिंह की मौत :स्टेटस में लिखा- घायल नागिन, घायल शेरनी और अपमानित स्त्री से हमेशा डरना चाहिए’

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हंसमुख होने के साथ श्वेता गौर एक बहादुर महिला भी थीं। मौत से पहले श्वेता ने अपने मोबाइल फोन के स्टेटस में जो इबारत शेयर की वह अब काफी चर्चा में है।

हंसमुख होने के साथ श्वेता गौर एक बहादुर महिला भी थीं। मौत से पहले श्वेता ने अपने मोबाइल फोन के स्टेटस में जो इबारत शेयर की वह अब काफी चर्चा में है।

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श्वेता सिंह की मौत :स्टेटस में लिखा- घायल नागिन, घायल शेरनी और अपमानित स्त्री से हमेशा डरना चाहिए’

 

बांदा जिले में जिला पंचायत सदस्य व भाजपा नेता श्वेता सिंह गौर की मौत ने हर किसी को झकझोर दिया है। समाजशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएट श्वेता की कोई सियासी पृष्ठभूमि नहीं है। हालांकि दीपक सिंह (श्वेता के पति) जरूर राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखते थे।

यही वजह है कि दीपक ने भाजपा ज्वाइन की। भाजपा से पूर्व में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जसपुरा वार्ड से लड़े, लेकिन हार गए। फिर दीपक ने क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीता। उनकी नजर ब्लाक प्रमुख पद पर थी। दो बार ब्लाक प्रमुख चुनाव में भी भाग्य आजमाया, लेकिन जीत नहीं सके। पिछले वर्ष भी जिला पंचायत चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन जसपुरा वार्ड की सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई। ऐसे में पत्नी श्वेता को चूल्हा-चौका से बाहर निकालकर राजनीति में लाना पड़ा।

श्वेता ने चुनाव जीत भी लिया। इसके बाद दीपक अपनी पत्नी के प्रतिनिधि बनकर कामकाज संभालने लगे। कुछ महीनों तक सब कुछ सामान्य ढंग से चला। फिर पढ़ी-लिखी श्वेता खुद को घर में कैद न रख सकी और धीरे-धीरे राजनीति में सक्रियता दिखाते हुए वह महिला मोर्चा की जिला महामंत्री बन गई।

पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर अपने प्रतिनिधि के बजाय स्वयं ही बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगी और स्वयं ही कुर्सी संभालने लगी। हंसमुख स्वभाव के कारण श्वेता को पार्टी में भी दीपक से ज्यादा तव्वजो मिलने लगी। शायद यहीं से उसके दाम्पत्य जीवन में क्लेश का कारण बना ।

सोशल मीडिया में सक्रिय रहने के कारण बहुत कम ही समय मे उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई।
कार्यक्रम या आयोजन में अपनी सहभागिता की फोटो सोशल मीडिया पर वह खुद ही शेयर करती थीं।

इंस्टाग्राम पर उनके 21,000 से ज्यादा और फेसबुक पर करीब 5000 फालोवर हैं। इंस्टाग्राम पर उनकी 1500 से ज्यादा पोस्ट हैं। इसमें अधिकतर फिल्मी गानों पर कुछ सेकेंड के रील्स हैं। इन रील्स के जरिये उन्होंने अपनी अदाकारी की भी झलक दिखाई। दो दिन पूर्व पूरे जनपद में नदी-नाला, तालाब खोदाई के अभियान में श्वेता ने अपने वार्ड में सूखे तालाब में खुद फावड़ा चलाकर इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल की थी। सामाजिक कार्यों में शायद उनकी यह आखिरी तस्वीर थी।

 

हंसमुख होने के साथ श्वेता गौर एक बहादुर महिला भी थीं। मौत से पहले श्वेता ने अपने मोबाइल फोन के स्टेटस में जो इबारत शेयर की वह अब काफी चर्चा में है। इसे लेकर श्वेता की मौत पर तरह-तरह के अनुमान भी लगाए जा रहे हैं। । इसके कुछ दिन पूर्व श्वेता ने स्टेटस पर अपनी फोटो के साथ यह शेयर किया था- जीवन बांसुरी की तरह है, जिसमें बाधाओं रूपी छेद कितने भी क्यों न हो, लेकिन जिसको इसे बजाना आ गया उसे जीवन जीना आ गया’।

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