West Bengal: दीदी के गढ़ में दादा,क्या बदल पाएंगे अमित शाह बंगालियों का इरादा?

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West Bengal: दीदी के गढ़ में दादा,क्या बदल पाएंगे अमित शाह बंगालियों का इरादा? बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज से पश्चिम बंगाल के 2 दिवसीय दौरे पर है।

West Bengal: दीदी के गढ़ में दादा,क्या बदल पाएंगे अमित शाह बंगालियों का इरादा?बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज से पश्चिम बंगाल के 2 दिवसीय दौरे पर है।

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West Bengal: दीदी के गढ़ में दादा,क्या बदल पाएंगे अमित शाह बंगालियों का इरादा?

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज से पश्चिम बंगाल के 2 दिवसीय दौरे पर है।

वैसे तो इस दौरे पर, अमित शाह सरकारी कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे। लेकिन सरकारी कार्यक्रमों से ज्यादा पार्टी के लिए शाह का दौरा खास है। क्योंकि मई 2021 विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार के बाद, जिस तरह पार्टी में आंतरिक उथल पुथल मचा हुआ है और कई नेताओं का पार्टी छोड़ना जारी है, ऐसे में बीजेपी के चाणक्य के लिए, राज्य में ममता बनर्जी के खिलाफ पार्टी को एकजुट करने की बड़ी चुनौती है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो न केवल आने वाले समय में पंचायत चुनाव बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।

एक साल में में 7 विधायकों ने छोड़ी पार्टी, उप-चुनाव में करना पड़ा हर का सामना

पश्चिम बंगाल में भाजपा की हालत दूसरे राज्यों की अपेक्षा में बहुत खराब है। एक तरफ भाजपा प्रभाव वाले दूसरे राज्यों में अन्य दलों से पार्टी में शामिल होने की लाइन लगी हुई है। वहीं पश्चिम बंगाल में लगातार भाजपा के नेता पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में 77 सीट जीतने वाली भाजपा के विधायकों की संख्या घटकर 70 रह गई है। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और पार्टी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके मुकुल रॉय जैसे नेता पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं। इसी तरह अमित शाह के दौरे के ठीक पहले उत्तर 24 परगना के15 नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। जबकि उम्मीद यह की जा रही थी कि दौरे के पहले पार्टी एकजुटता दिखाने का प्रयास करेगी।

पिछले महीने आसनसोल लोकसभा उप चुनाव और बालीगंज विधानसभा उप चुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। आसनसोन से जहां तृणमूल नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को हराया। वहीं बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी छोड़कर तृणमूल का दामन थाम चुके बाबुल सुप्रियो ने भाजपा को शिकस्त दी। जाहिर है बंगाल में बीजेपी के लिए सब-कुछ ठीक नहीं हो रहा है। इसी तरह भाजपा ने विधानसभा चुनावों में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को हटा दिया था। और उनकी जगह सुकांत मजूमदार को कमान सौंपी गई । लेकिन उनके अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी का चुनावों में प्रदर्शन फीका रहा है। राज्य में इसके अलावा कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाना भी अमित शाह के लिए चुनौती है। क्योंकि तृणमूल-भाजपा कार्यकर्ताओं के संघर्ष बहुत से कार्यकर्ताओं को हिंसा का सामना करना पड़ा है।

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