Wheat Crop : गेहूँ को देखभाल इन दिनों है जरूरी, देखें कहीं आपके गेहूँ में भी तो नहीं पनप रही ये गंभीर बीमारी

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Wheat Crop

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पूरे देश के किसानों ने गेहूँ की बुबाई कर दी है. किसानों को फसल तैयार करने के लिए कई समस्याओं से लड़ना पड़ता है. ये बेहद नाजुक समय है,ऐसे में फसलों का खयाल भी ज्यादा करना पड़ता है. फसलों में कीट रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए यह आवश्यक है कि किसान फसलों की निगरानी करते रहें. ज्यादातर इलाकों में गेहूँ की फसल निकल आई है.

पत्ती झुलसने लगती हैं, इसे पत्ती झुलसा रोग कहते हैं : Wheat Crop

सही दवा का ​छिड़काव करके गेहूं की फसल में खतरों के कम कर सकते हैं.कई इलाकों में गेहूं की फसल पत्ती झुलसा रोग की चपेट में आ जाती है. ये बीमारी लगने पर गेंहू की पत्तियां झुलसी हुई दिखती है. ये रोग लगने पर फसल का विकास नहीं हो पाता और उत्पादन 50 फीसदी तक गिर सकता है. इस बीमारी की रोकथाम के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर IFFCO-MC के रसायनों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

माहों का प्रकोप गेहूँ के लिए बड़ी समस्या : Wheat Crop

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में माहों का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. माहों गेहूँ की फसल को नष्ट कर देती है. गेहूँ के अलावा मेथी और धनिया की फसल पर भी ये कीट हावी हो रहा है, जो फसल के उत्पादन को कम कर सकता है. इसकी रोकथाम के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. की 75 मिली मात्रा को 100 लीटर पानी में घोलकर एक बीघा फसल पर स्प्रे करना होगा.

किसान चाहें तो रसायनों का इस्तेमाल ना करके सिंचाई के पानी में नीम का तेल भी छोड़ सकते हैं. इसके लिए नीम के तेल की 750 मिली मात्रा को लें और फसल बुवाई के 21 दिन के बाद पानी में बहा दें. चाहें तो क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी की 1250 मिली मात्रा को 10-12 किलो रेत में मिलाकर प्रति बीघा फसल पर फैला सकते हैं.

रतुआ रोग से रहें सावधान :-

यह एक फंगी रोग है, जो पहाड़ी इलाकों से हवा द्वारा मैदानी इलाकों में फैलता है और गेहूं की फसल को संक्रमित कर देता है. इस रोग में गेहूं की पत्तियां जल्दी सूखने लगती है. सर्दियों में भी तापमान गर्म है तो नारंगी रंग के धब्बे पत्तियों पर दिखते हैं और पत्तियों की निचली सतह कुछ काली हो जाती है. इस रोग के लगने पर गेहूं का दाना तो हल्का बनती ही है, उत्पादन भी 30 फीसदी तक कम हो सकता है. कुछ इसी तरह पीला रतुआ और काला रतुआ रोग होता है, जिसकी पहचान करके तुरंत नियंत्रण करना बेहद जरूरी है.

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