पशु-पक्षी पालने का है शौक, तो वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम पर करें गौर
Wildlife Protection Act : पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक सारस पक्षी और उसे पालने वाले शख्स का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में पक्षी और इंसान की दोस्ती लोगों को भी काफी पसंद आ रही है. लेकिन अब ये दोस्ती टूट गई है और वन विभाग की टीम ने सारस को समसपुर पक्षी विहार में शिफ्ट कर दिया.
हमारे देश में पशु और पक्षियों को पालने के भी बहुत सारे नियम हैं. कुछ जानवर खास तौर पर संरक्षित होते हैं और उन्हें पालने से पहले हमें कई नियमों से गुजरना पड़ता है. सारस भी उन्ही संरक्षित पक्षियों में एक है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जंगली जानवरों को पालने या बांधने से पहले किन कानूनों के बारे में जानना जरूरी है? आज हम ऐसे ही जानवरों और उनकी रक्षा के लिए बने कुछ कानून के बारे में आपको बताएंगे
संविधान में जानवरों की जीने की आजादी : Wildlife Protection Act
भारतीय का संविधान देश के हर नागरिकों की तरह ही जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी देता है. अगर कोई व्यक्ति जानवरों को मारने या प्रताड़ित करने की कोशिश करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड के प्रावधान हैं. इसके अलावा हमारे देश में कई जानवर ऐसे भी हैं जिसे मारने या प्रताड़ना पहुंचाने पर आपको जेल भी हो सकती है.
पहले समझते हैं कि आखिर क्या है सारस पक्षी का मामला
उत्तर प्रदेश की अमेठी के मंडखा गांव में रहने वाले आरिफ को उसकी ही खेत में लगभग एक साल पहले एक घायल सारस मिला था. जब आरीफ ने उस सारस को देखा तब उसके पैर में चोट लगी थी. घायल होने के कारण उसने उसे अपने घर ले जाकर सारस का इलाज किया. अब आरिफ काफी समय सारस के साथ गुजारता था
उसे घर का बना खाना जैसे- दाल-चावल, सब्जी रोटी खिलाता था. इस तरह इन दोनों के बीच दोस्ती हुई और समय के साथ ये दोस्ती और भी गहरी होती चली गई. सारस के ठीक हो जाने के बाद आरिफ और उनके परिवार वालों को लगा था कि वह पक्षी खुद ही उड़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आरिफ के अनुसार वह पक्षी दिन में उड़कर जंगल और खेतों में चला जाता था, लेकिन शाम होने पर वापस उनके घर आ जाता था. धीरे धीरे आरिफ का परिवार ही सारस का परिवार बन गया. जहां- जहां आरिफ जाते सारस उनके साथ साथ जाता है. वह उनके साथ ही भोजन करता. सारस आरिफ का दोस्त बन गया था.
वन्य जीव संरक्षण कानून क्या है ?
भारत में बेजुबान जानवरों पर होने वाले किसी भी तरह के अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था. इस कानून को लाने का मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था. साल 2003 में इस कानून में संशोधन किया गया जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रख दिया गया. इसमें दंड और और जुर्माना को और भी कठोर कर दिया गया है.