Wrestler on strike : इंसाफ की लड़ाई में इतने मजबूर क्यों लिख रहे हैं भारतीय पहलवान, जानिए भारतीय पहलवान बनाम कुश्ती महासंघ अध्यक्ष की पूरी कहानी

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Wrestler on strike : कॉमनवेल्श गेम्स से लेकर ओलंपिक गेम्स के पदक विजेता खिलाड़ी तक जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे. देश को गौरवान्वित करने वाल इन खिलाड़ियों ने WFI में कई अनियमितताओं से पर्दा उठाया था. सबसे अहम तो यह था कि यहां महिला पहलवानों ने WFI के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. इस मामले में दिए गए आश्वासन के बाद यह धरना तो खत्म हो गया था लेकिन न तो WFI के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया और न ही बृज भूषण शरण सिंह पर किसी तरह का मामला दर्ज किया गया. इंसाफ की इस लड़ाई में जब भारतीय पहलवान पिछड़ने लगे तो इनके पास सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बच गया था. आखिरी में इन्हें यही करना पड़ा

बृज भूषण के खिलाफ एक्शन चाहते हैं पहलवान

भारतीय पहलवानों का कहना है कि उन्हें कुश्ती महासंघ के चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है. वह केवल बृज भूषण के खिलाफ महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न के मामले में एक सही जांच चाहते हैं. अब यह देखना बाकी है कि जिस देश में कॉमनवेल्थ से लेकर ओलंपिक गेम्स में मेडल लाने पर खिलाड़ियों का महिमामंडन करने वाली देश की जनता और सरकार क्या इंसाफ की लड़ाई में इनका साथ देंगी? या ये खिलाड़ी मजबूर होकर इस लड़ाई में हार जाएंगे.

धरने पर बैठे हैं ओलंपिक मेडलिस्ट : Wrestler on strike 

बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत कई पहलवान रविवार (23 अप्रैल) से ही एक बार फिर से जंतर-मंतर पर बैठे हुए हैं. इस बार ये पहलवान पिछली बार की तरह केवल आश्वासन पर नहीं बल्कि उचित कार्रवाई के बाद ही यहां से उठने वाले हैं. इनके धरने का एक असर तो यह हुआ कि खेल मंत्रालय ने 7 मई को होने वाले भारतीय कुश्ती संघ के चुनावों पर रोक लगा दी है. खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ को एक एड-हॉक पैनल बनाने का आदेश दिया है जो 45 दिनों में कुश्ती महासंघ के चुनाव कराएगी. जब तक कुश्ती महासंघ की नई कमिटी तैयार नहीं हो जाती, तब तक यही पैनल भारतीय कुश्ती से जुड़े रोजमर्रा के कामों पर नजर रखेगी.

 

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