तो इस गुफा में स्थित है भगवान गणेश का सिर जो भोलेनाथ द्वारा क्रोधवश काटा गया था…
तो इस गुफा में स्थित है भगवान गणेश का सिर जो भोलेनाथ द्वारा क्रोधवश काटा गया था…
सनातन धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है… गणेशजी के जन्म के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं… जिनमें से यह कथा आप सभी जानते है की भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था… इसके बाद माता पार्वती भगवान शिव से क्रोधित हो गई थी… माता पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने गणेश जी के धड पर हाथी का मस्तक लगाया था… लेकिन क्या आप जानते हैं की गणेशजी का जो मस्तक कटा था वह कहा गया था… बताते हैं आपको वो रहस्य की गणेश जी का कटा हुआ मस्तक कहा गया था….
स्कंद पुराण के मुताबिक भगवान शिव ने गणेश जी का कटा हुआ मस्तक एक गुफा में रखा था… यह गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है… जहां यह मस्तक रखा गया, उसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है… इस स्थान पर विराजित गणेशजी की मूर्ति को आदिगणेश के नाम से पुकारा जाता है… उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है… यह गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फुट अंदर है… मान्यता के अनुसार, इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य द्वारा की गई थी…
पाताल भुवनेश्वर गुफा में भगवान गणेश की कटी शिलारूपी मूर्ति स्थापित है… उस मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है… इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर जल की दिव्य बूंद टपकती है… मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है… मान्यता के अनुसार यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था…
इसी गुफआ में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं… बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं, जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरुड़ शामिल हैं… इस गुफा में एक चट्टान में तक्षक नाग की आकृति भी नजर आती है…
कहा जाता है की यहां पर ऊपर की तरफ बाबा अमरनाथ की गुफा है, जहां पर पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं… इसी गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन भी होते हैं… इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।