Gyanvapi Case : मंदिर-मस्जिद के विवाद में कूदे बौद्ध धर्म गुरु, ज्ञानवापी को बताया मठ, सुप्रीम कोर्ट में दी याचिका

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Gyanvapi Case : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बौद्ध धर्म गुरु ने याचिका दायर कर ज्ञानवापी को मस्जिद और मंदिर से अलग मठ बताया. ऑल इंडिया बुद्धिस्ट संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते सुमित रतन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे होने पर बौद्ध मठ के अवशेष मिलेंगे.याचिका में कहा गया है कि देश में बौद्ध मठों को तोड़कर मंदिरों का निर्माण किया गया है. ज्ञानवापी में पाए गए त्रिशूल और स्वास्तिक के चिह्न बौद्ध धर्म के हैं. उन्होंने बौद्ध मठों को मूल स्वरूप में लाए जाने की मांग की. बद्रीनाथ, केदारनाथ और मथुरा के मंदिर पर बौद्ध मठ होने का दावा ठोंकने के लिए उन्होंने अलग से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कही.

मंदिर-मस्जिद के बीच ज्ञानवापी को बताया मठ

स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान सामने आते ही चारों तरफ से निंदा होने लगी. ऑल इंडिया बुद्धिस्ट संघ स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतर गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से 3 अगस्त को आए आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे एएसआई की 51 सदस्यीय टीम कर रही है. हाईकोर्ट ने सर्वे को न्याय हित के लिए जरूरी बताते हुए एएसआई से सर्वे कराने की इजाजत दी थी. मुस्लिम पक्ष ने आदेश को चुनौती देते हुए एएसआई सर्वे को रोकने की मांग की है. आज सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हो सकती है

बौद्ध धर्म गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की अर्जी : Gyanvapi Case

भंते सुमित रत्न ने आगे कहा कि बौद्ध धर्म सबसे पुराना है. इस्लाम 1500 साल पहले आया और हिंदू धर्म 1200 साल का है. देश में आपसी फूट की शुरू हुई परंपरा सही नहीं है. बौद्ध मठों का भी सर्वेक्षण कर बौद्ध समाज को वापस कर देना चाहिए. बता दें कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी मुद्दे पर बयान देकर विवादों को जन्म दे दिया था.उन्होंने मस्जिद और मंदिर से पहले भी ज्ञानवापी में बौद्ध मठ होने की बात कही.

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