इतिहास में पहली बार भारतीय रेलवे की बड़ी कार्रवाई….
इतिहास में पहली बार भारतीय रेलवे की बड़ी कार्रवाई, काम में कोताही करने वाले लापरवाह अधिकारियों को जबरन किया रिटायर्ड
हमारे देश में सरकारी नौकरी पर बैठे व्यक्ति का एक अलग ही रौब होता है। वो खुद को किसी सरकार से कम नहीं समझता। कुछ अधिकारी तो अपने पद का सदपुयोग करते हैं और अपने काम को भलिभांति करते हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे होतें हैं जो सिर्फ सरकार से सैलेरी पाने आते हैं। इतिहास में पहली बार ऐसे ही लोगों पर अब रेलवे ने बड़ा एक्शन लिया है। भारतीय रेलवे ने अपने अधिकारियों के खिलाफ अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने 19 अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
जी हां जानकारी के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार ने खराब प्रदर्शन करने वाले और अक्षम अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई करते 19 अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनमें से 10 अधिकारी जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के हैं। जुलाई में रेल मंत्री बनने के बाद अश्विनी वैष्णव ने अधिकारियों से साफ कहा था कि काम करो या घर बैठो। उनके 11 महीने के कार्यकाल में 96 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। रेलवे ने सीसीएस रूल 56(J) के तहत यह कार्रवाई की है। इस नियम के तहत किसी सरकारी कर्मचारी को न्यूनतम तीन महीने का नोटिस देकर या इस अवधि का वेतन देकर रिटायर किया जा सकता है।
बता दें कि जिन 19 अधिकारियों को रिटायर किया गया है, उनमें इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल सेवाओं के चार-चार अधिकारी, मेडिकल एवं सिविल से तीन-तीन अधिकारी, कार्मिक से दो, स्टोर, यातायात एवं मेकेनिकल से एक-एक अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी रेलवे के उपक्रमों जैसे पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं।
गौरतलब है कि अश्विनी वैष्णव के केंद्रीय रेल मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद से अब तक करीब 77 अधिकारियों ने VRS ले लिया है। सूत्रों के अनुसार पिछले 11 महीने में 96 अधिकारियों को वीआरएस दिया गया है।
जाहिर है इस तरह की कार्रवाई से केंद्र सरकार साफ शब्दों में संदेश देना चाहती है, कि काम के दौरान लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इन नियमों के तहत सरकार काम की समीक्षा कर जबरिया वीआरएस भी दे सकती है। बताते चलें कि रेल मंत्री वैष्णव ने पिछले महीने खजुराहो में रेलवे अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि जो भी अधिकारी काम नहीं कर सकते, वो VRS लेकर घर बैठ जाएं अन्यथा उन्हें बर्खास्त किया जाएगा। ये बात उन्होंने तब कही थी, जब ललितपुर-सिंगरौली रेलवे परियोजना में हो रही देरी को लेकर कुछ रेलवे अधिकारी सीधी जिले की सांसद रीति पाठक से प्राप्त सुझावों पर जानकारी और उनके सवालों का जवाब नहीं दे पाए थे।