सुप्रीम कोर्ट में नूपुर शर्मा पर फैसला देने वाले जस्टिस के पिता कांग्रेस के बड़े नेता रह चुके हैं
यही हैं जस्टिस जे बी पादरीवाला. जिन्होंने रियाज के हाथ में गर्दन काटने वाली चाकू के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार बताया. पहचानिए, इनके पिता 80 के दशक में कांग्रेसी एमएलए रहे हैं और गुजरात के सातवें विधानसभा में स्पीकर भी. सोचिए कि भारत की न्यायपालिका की साख का दम क्यों घूंट रहा है?
अब अगर नूपुर शर्मा को कुछ होता है तो उसके लिए सीधे तौर पर भारत का सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार होगा!
मिलोर्ड ने कहा
नूपुर शर्मा के बयान की वजह से उदयपुर की घटना हुई।
नूपुर शर्मा के बयान ने पूरे देश में आग लगा दी है।
नूपुर शर्मा ने राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
नूपुर शर्मा को टीवी पर आकर देश से माफी मांगनी चाहिए।
नूपुर शर्मा को सत्ता का अहंकार है, सत्ता उनके सिर पर चढ़ गई है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद दिल्ली पुलिस को नूपुर शर्मा को गिरफ्तार करना चाहिए था।
नूपुर शर्मा का गिरफ्तार न होना उनके दबदबे को दिखाता है।
नूपुर शर्मा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें अपनी जान का खतरा है।
इसपर जस्टिस सूर्यकांत कहते है कि उन्हें खतरा है या वह सुरक्षा के लिए खतरा बन गई हैं? उन्होंने जिस तरह से पूरे देश में भावनाओं को भड़काया है, देश में जो हो रहा है उसके लिए वह अकेले ही जिम्मेदार हैं।
मिलोड ने उदयपुर में कन्हैया लाल की निर्मम हत्या करने वालो के विषय में एक शब्द भी नहीं बोला, बल्कि कन्हैया लाल की हत्या के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहरा दिया। मिलोड नूपुर शर्मा अगर दोषी है तो फांसी पर लटका दो उसे।
भारत कोई इस्लामिक देश नहीं है। लेकिन मिलोड की टिप्पणी देखकर लग रहा है कि हम किसी इस्लामिक मुल्क में रह रहे हैं।
मिलोड ने यह देखना भी जरूरी नहीं समझा कि टीवी डिबेट में मौलानाओं द्वारा लगातार हिंदू आस्था का मजाक उड़ाया जा रहा था। तब देश की सुरक्षा खतरे में नहीं पड़ी ? हिंदुओ की भावना भावना नहीं है क्या?
हिंदुस्तान में हिंदुओ की आस्था का मजाक उड़ाने वालों को कुछ नहीं कहा जायेगा, लेकिन अगर भूल से भी किसी मजहब की किताबों में लिखी चंद लाइनों को पढ़ दिया, तो कट्टरपंथी जिहादियों को आपका सर तन से जुदा करने का लाइसेंस सुप्रीम कोर्ट दे रहा है?
क्योंकि काफिर हिंदुओं को मारने, काटने, उनकी आस्था का मजाक उड़ाने के बाद भी हिंदुस्तान में अमन, चैन, भाईचारा और सेकुलरिज्म कायम रखना सुप्रीम कोर्ट के लिए जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट की ऐसी गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी ने निश्चित तौर पर इस्ला मिक कट्टरपंथियों के मनोबल को बढ़ाने और उनके कुकृत्यों को ढकने का काम किया है।