Haldwani :रेलवे की जमीन पर कैसे बन गए 5000 घर, आखिर क्या है पूरी कहानी, हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?? जानिए पूरी कहानी
रेलवे की जमीन कब्जा कर यहां पूरा गाँव बसा दिया गया है. लगभग 5000 घर बन चुके हैं. उत्तराखंड के हल्द्वानी (Haldwani) में रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के विरोध में हजारों लोगों का विरोध जारी है. विरोध के बीच करीब 50 हजार लोगों के लिए आज का दिन अहम था. बनभूलपुरा और गफूर बस्ती में रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर स्टे लगा दिया है, जिसमें रेलवे को सात दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है.
50 वर्ष पूर्व रखी गई थी कब्जे की नींव जिसे कोर्ट ने बताया अवैध : Haldwani
बनभूलपुरा और गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर करीब 50 साल पहले अतिक्रमण शुरू हुआ था. अतिक्रमण अब रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर फैल गया है. स्थानीय लोगों का दावा है कि वो 50 साल से भी अधिक समय से यहां रह रहे हैं. उन्हें वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली, पानी, सड़क, स्कूल आदि सभी सुविधाएं भी सरकारों ने ही दी हैं. लोग सभी सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं. पीएम आवास योजना से भी लोग लाभान्वित हो चुके हैं. दावा है कि वो नगर निगम को टैक्स भी देते हैं. इनमें मुस्लिम आबादी की बहुलता है.
आरपीएफ ने 2016 में दर्ज कराया मुकदमा, अतिक्रमणकारियों के पास कोई ठोस सबूत नहीं
नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती के बाद 2016 में आरपीएफ ने अतिक्रमण का मुकदमा दर्ज किया. लेकिन तब तक करीब 50 हजार लोग रेलवे की जमीन पर आबाद हो चुके थे. नैनीताल हाईकोर्ट ने नवंबर 2016 में रेलवे को 10 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के सख्त आदेश दिए. इसके बाद भी रेलवे, आरपीएफ और प्रशासन नरमी दिखाता रहा. रेलवे का दावा है कि उसकी 78 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है. रेलवे की जमीन पर 4365 कच्चे-पक्के मकान बने हैं.
यह है पूरा मामला, पढ़े विस्तार से : Haldwani
रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रेलवे ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया. इसमें रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है. खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी. जारी नोटिस में कहा गया कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा.
सात दिन के अंदर अतिक्रमणकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, अन्यथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण तोड़ दिया जाएगा. उसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से वसूला जाएगा. अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सोमवार 2 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोगों की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से दाखिल की गई है.