कितना और घटेंगे गेहूँ के दाम, जानिए क्या कहते हैं सरकारी आँकड़े
सरकार ने कुछ ही दिनों में गेहूँ (Wheat) की कीमत को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है. गेहूं और गेहूं के आटे के महंगे रेट मिडिल क्लॉस को परेशान कर रहे हैं. अब सर्दियों की फसलों की बुवाई पूरी हो गई है. रबी सत्र में गेहूं की बुवाई का कुल रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले महज 1.39 लाख हेक्टेयर बढ़कर 343.23 लाख हेक्टेयर हो गया है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और मार्च/अप्रैल में कटाई होती है. चना और सरसों इस मौसम में उगाई जाने वाली अन्य प्रमुख फसलें हैं. देश कृषि क्षेत्र में लगातर तरक्की कर रहा है.
किसानों की मेहनत को कृषि मंत्री ने भी सराहा
आंकड़ों से साफ हुआ कि फसल वर्ष 2022-23 के रबी सत्र में सभी रबी फसलों का कुल बुवाई रकबा एक साल पहले की समान अवधि के 697.98 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 720.68 लाख हेक्टेयर हो गया है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रबी फसलों की खेती में वृद्धि की सराहना करते हुए कहा, ‘यह हमारे मेहनतकश किसान भाइयों और बहनों, कृषि वैज्ञानिकों और नरेंद्र मोदी सरकार की किसान हितैषी नीतियों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है.’
एक साल पहले 341.84 लाख हेक्टेयर था : Wheat
मंत्रालय की तरफ से जारी अंतिम आंकड़ों के अनुसार, चालू फसल वर्ष में 3 फरवरी तक गेहूं का रकबा बढ़कर 343.23 लाख हेक्टेयर हो गया है. यह एक साल पहले की समान अवधि में 341.84 लाख हेक्टेयर था. बुवाई का रकबा राजस्थान में 2.52 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 1.03 लाख हेक्टेयर, बिहार में 94 हजार हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश 93 हजार हेक्टेयर रहा है. धान के मामले में, इस वर्ष के रबी सत्र में खेती के रकबे में 46.25 लाख हेक्टेयर पर तेज वृद्धि हुई है.
मंत्रालय ने बयान में कहा कि धान खेती के रकबे का रुख अन्य कम पानी खपत वाले तिलहनों, दालों और पोषक अनाज वाली फसलों की ओर मोड़ा जा रहा है. इस साल रबी सत्र में दलहन की बुवाई का रकबा मामूली बढ़कर 167.86 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 167.31 लाख हेक्टेयर था. जिसमें से, चना खेती का रकबा एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 2.16 लाख हेक्टेयर घटकर 112.01 लाख हेक्टेयर रह गया.