महज 80 दिनों में हो जाएंगे मालामाल! ब्लैक के बाद अब पिंक पोटैटो ने मचाई धूम,कृषि वैज्ञानिकों का कमाल
Pink Potato : बिहार में अब किसान काले आलू के बाद गुलाबी आलू की खेती कर सकेंगे. बता दें कि आलू एक ऐसी सब्जी है जिसका इस्तेमाल अमूमन प्रत्येक घर की रसोई में होता है. इसलिए इसका उत्पादन भी किसान बड़े पैमाने पर करते हैं. इसके साथ-साथ इसकी उत्पादन और भंडारण क्षमता भी अन्य सब्जियों अपेक्षा अधिक होती है.इसमें पोषक तत्वों का भी भंडार है जो बच्चों से लेकर बूढ़ों के शरीर को भरपूर पोषण प्रदान करता है. बढ़ती आबादी को कुपोषण एवं भुखमरी से बचाने वाला यह एक मात्र सब्जी है. इसलिए कृषि वैज्ञानिक आए दिन इस पर प्रयोग करते रहते हैं और नई प्रजाति विकसित करने का प्रयास करते रहते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों ने आलू की नई प्रजाति को किया विकसित
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने एक नई प्रजाति को विकसित किया है. इस प्रजाति को युसीमाप और बड़ी आलू 72 नाम दिया है. जिसका लखीसराय जिले के हलसी प्रखंड में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में सफल उत्पादन किया गया है. उत्पादन में आशा अनुरूप सफलता मिलने के बाद वैज्ञानिकों में काफी खुशी है और जल्द ही यह आलू की प्रजाति किसानों के खेतों तक पहूंच जायेगी. जिसका उत्पादन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वैज्ञानिक बताते हैं कि यह आलू आम आलू के अपेक्षा अधिक पौष्टिक है. वहीं सामान्य आलू के अपेक्षा कार्बोहाइड्रेट और स्ट्राच की मात्रा कम होती है जो लोगों के लिए काफी फायदेमंद है.
कम मेहनत में मिलेगी अधिक उपज और होगी अच्छी कमाई
मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी इलाकों में भी किसान बड़े पैमाने पर पिंक पोटैटो खेती करते हैं. सामान्य आलू की फसल अमूमन 90 से 105 दिनों में तैयार होती है. जिसके बाद इसका आशानुरूप उत्पादन हो पता है. वहीं पिंक पोटैटो महज 80 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाता है. जिसके बाद इसकी उपज लगभग 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. लेकिन आलू की खेती में किसानों को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. आलू की फसल में कई ऐसे रोग भी लगते हैं जिससे इसकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है. जिससे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है.
पिंक पोटैटो में प्रतिरोधक क्षमता है अधिक : Pink Potato
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो पिंक पोटैटो में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है. इसलिए इसमें लगने वाले अगेता झुलसा रोग, पिछेती झुलसा रोग, पोटैटो लीफ रोल रोग आदि रोग नहीं लगते हैं. वहीं विषाणुरहित होने के करण इसमें विषाणुओं के द्वार पनपने वाले रोग भी नहीं लगते हैं. वैज्ञानिक बताते हैं की इसका रंग गुलाबी है जो काफी चमकीला दिखता है. यह काफी पौष्टिक होने के साथ-साथ काफी आकर्षक दिखता है. जिसके कारण लोगों को अपने तरफ आकर्षित करता है . इसलिए बाजार में सामान्य आलू से ज्यादा इसके रेट भी मिलेंगे. जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिलेगा .