मध्य प्रदेश में स्थित है देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों वाला मंदिर, दर्शन के लिए लगती है भारी भीड़
Bijasan Mata Temple : इंदौर शहर में चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. साथ ही इंदौर में मां के नौ स्वरूपों की पिंडी रूप में पूजा की जाती है. प्रदेश का एकमात्र नौदेवी मंदिर है बिजासन माता मंदिर (Bijasan Mata Temple), यहां नवरात्रि के दौरान भक्तों का तांता लगा रहता है. शहर के देवी मंदिरों में चैत्र नवरात्र को लेकर लोगो में काफी उत्साह हैं. चैत्र नवरात्रि के पहले ही दिन मंदिरो में सुबह से ही माता रानी के भक्तों की भीड़ लगी हुई है.बता दें कि नौ दिनों तक यहां मातारानी की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं इंदौर में मां का कहीं पिंडी के रूप में पूजन होता है तो कहीं पर तीन बार अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है. ऐसे में भक्तों को माता के मनोहरी रूप के दर्शन मिलते हैं. आज हम आपको इंदौर के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां माता का पिंडी स्वरूप में पूजन किया जाता है.
नवरात्र और अवकाश के दिनों में लगता है भक्तों का तांता : Bijasan Mata Temple
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में प्राचीन मंदिरों में से एक सिद्ध मंदिर बिजासन माता का मंदिर है. जो इंदौर के एयरपोर्ट से आगे एक पहाड़ी पर बना हुआ है. इस मंदिर में देवी नौ स्वरूपों में दर्शन देती है. मान्यता है कि यह मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुराना है. किसी वक्त यहां घना जंगल हुआ करता था किसी समय में यह स्थान तंत्र साधना के लिए उपयुक्त माना जाता था. लेकिन अब समय के साथ इस मंदिर का भी विकास हुआ और आज यहां नवरात्र के अलावा पर्व विशेष और अवकाश के दिनों में भी भक्तों की खासी भीड़ लगी रहती है.
महाराजा तुकोजीराव ने करवाया था निर्माण
मंदिर के पुजारी रतनवन गोस्वामी ने बताया कि यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है. इस बिजासन मंदिर में नौ देवी एक साथ विराजमान है और यह नौ देवी स्वयंभू भगवती है. इस मंदिर में पुराने समय में इंदौर के पहले महाराजा तुकोजीराव (Maharaja Tukojirao) भ्रमण पर आए थे. उन्होंने देखा था कि एक चबूतरे पर मां विराजमान है जिसे देख उन्होंने मंदिर के निर्माण की कोशिश की, लेकिन वे दीवार बनाते थे और वह गिर जाती थी. कई बार ऐसा हुआ जिसके बाद मां भगवती ने सपने में कहा कि पहले मुझसे कुछ मन्नत मांग उसके बाद इसका निर्माण करना तो ही मंदिर बन सकेगा. इसके बाद राजा ने मन्नत मांगी और वह पूरी भी हुई. जिसके इसका निर्माण 1760 में कराया गया जो पूर्ण हो पाया.