Electricity Problem UP : विद्युत व्यवस्था बेहतर होने के सरकारी दावे और बिजली ना आने त्रस्त जनता आखिर क्यों उत्तर प्रदेश में हो रही अघोषित बिजली कटौती

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Electricity Problem UP : उत्तर प्रदेश में बिजली संकट जारी है. उत्तर प्रदेश में हो रही बिजली कटौती से कोई एक वर्ग परेशान नहीं है, बल्कि व्यापारी किसान और आम जनता बिल्कुल त्रस्त है. ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी अघोषित बिजली कटौती हो रही है. प्रदेश में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की 3615 मेगावाट की क्षमता इकाइयों के बंद होने से संकट गहरा चुका है, अभी बीते समय में राज्य में कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन कम होना बताया गया था.

जिस पर राज्य विद्युत परिषद ने कहा था कि कोयले की कमी ऐसे ही नहीं हुई है. यह कोई बहुत बड़ी साजिश है. हालांकि यह बात थोड़ी पुरानी हो चुकी है अब तो सरकार के मंत्री बेहतर विद्युत व्यवस्था होने का दावा करते हैं, संकल्प पत्र में मुफ्त बिजली की घोषणा करने के बाद दरों को कम तो नहीं कर पाए लेकिन अघोषित बिजली कटौती जरूर जारी है.

बर्बाद हो रहीं फसलें : Electricity Problem UP

उत्तर प्रदेश में हो रही अघोषित बिजली कटौती से किसान वर्ग खास रूप से प्रभावित हो रहा है. खेतों में इस समय मक्के की फसल खड़ी है. लगभग सभी को यह जानकारी है कि मक्के की फसल को अधिकतम पानी की आवश्यकता होती है. क्षेत्र में अघोषित रूप से विद्युत कटौती हो रही है, जिससे समर चलने में असमर्थ हैं और अन्य साधन में वाटर लेवल की कमी होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पानी लगाने के लिए जो व्यवस्थाएं हैं वह विद्युत से ही चल सकती हैं. ऐसे में हो रही अघोषित बिजली कटौती से किसान बर्बादी की कगार पर आ गए हैं. किसानों की मक्के की फसल सूख रही है, कुछ जगह से ऐसी खबरें भी आए हैं कि किसानों ने खड़ी मक्के की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया है.

बंद पड़ी आटा चक्की और अन्य कारखाने

किसानों की तरह ही मध्यमवर्ग का व्यापारी जिसका व्यापार पूरी तरह से विद्युत पर निर्भर है. उसको काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उदाहरण के तौर पर आइसक्रीम कारखाने और आटा पीसने की चक्की बंद पड़ी हुई है. जनरेटर के रूप में एक वैकल्पिक व्यवस्था जरूर उपलब्ध होती है, लेकिन जनरेटर से विद्युत सप्लाई चालू करने में इतना खर्च आता है कि उससे बेहतर है कि उनको धंधा बंद कर देना चाहिए. आटा पीसने की चक्की आप कुछ क्षेत्रों में लगभग बंद पड़ गई है. व्यापारियों के साथ ही आम जनता बिल्कुल त्रस्त है. इस बढ़ती गर्मी में लू लगने और डिहाइड्रेशन होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में आम जनता घरों में सोने के लिए परेशान हो चुकी है. दिन हो या रात अघोषित विद्युत कटौती जारी ही रहती है.

2 घंटे से कम की औसत सप्लाई, जिम्मेदार मौन

उत्तर प्रदेश के तमाम क्षेत्रों का सर्वे करें या वहां की खबरों को आप उठाकर देखें, तो पूरे उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 2 घंटे ही बिजली सप्लाई चालू होती है. 2 घंटे से अधिक अगर कहीं बिजली सप्लाई चालू होती है, तो वहां स्थानीय समस्याएं और जर्जर तारों की वजह से विद्युत सप्लाई चालू नहीं हो पाती है. प्रदेश की 25 करोड़ जनता में लगभग ग्रामीण क्षेत्रों की 15 करोड़ जनता बिजली के कारण पूरी तरह से त्रस्त है, उसके खेत सूख रहे हैं, व्यापार ठप हो चुके हैं और जिम्मेदार मौन हैं. प्रदेश में विद्युत व्यवस्था की यह बेहाल हालत देखने वाला कोई नहीं है और ना ही इस पर कोई सवाल करने वाला है. जनता लगातार मंत्रियों को ट्वीट कर रही है, लेकिन मंत्री जी कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं.

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