Ind-Pak War : आज ही के दिन भारत ने किए थे पाकिस्तान के टुकड़े, 93000 जवानों को बनाया था बंदी
आज भारत पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग (Ind-Pak War) में जीत के 50 वर्ष पूरे होने की उपलब्धि पर विजय दिवस मना रहा है. पूरे देश में इस बात पर हर्षोल्लास है. आज के ही दिन यानी 16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को जंग में करारी शिकस्त दी थी, और इसके फलस्वरूप बांग्लादेश (पहले पूर्वी पाकिस्तान था) का उदय हुआ. इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. यह इतिहास में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है. भारतीय सेना की जांबाजी के आगे पाकिस्तानी सेना ने महज 13 दिन में ही घुटने टेक दिए थे.
अमेरीका के दबाब के बाद भी भारत ने पलट दी थी बाजी : Ind-Pak War
अमेरीका के सातवें बेड़े का भी प्रभाव भारत पर नहीं पड़ा. अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े में यूएसएस एंटरप्राइज नामक परमाणु शक्ति से लैस विमानवाहक युद्धपोत और अन्य विध्वंसक पोत आदि शामिल थे. इस बेड़े को उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली नौसैनिक बेड़ों में से एक माना जाता था. यूएसएस एंटरप्राइज बिना दोबारा ईंधन की जरूरत के दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने की क्षमता रखता था. यह भारत के विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़ा था. अमेरिका ने इस बेड़े को बंगाल की खाड़ी में भेजने के पीछे बांग्लादेश में फंसे अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकालना बताया था. हालांकि, आगे चलकर यह बात सामने आई कि इस बेड़े का मकसद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध लड़ रही भारतीय सेना पर दबाव बनाना था.
जंग में रूस ने किया था भारत का भरपूर सहयोग : Ind-Pak War
रूस ने भारत का हमेशा साथ दिया. पाकिस्तान के मामले पर भी संयुक्त राष्ट्र से लेकर युद्ध क्षेत्र तक में साथ दिया था. अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के भारत की ओर बढ़ने की खबर के बाद भारत ने रूस से मदद मांगी थी. युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले ही भारत ने रूस के साथ सोवियत-भारत शांति, मैत्री और सहयोग संधि की थी. अमेरिकी नौसेना को बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ता देख कर रूस ने भारत की मदद के लिए अपनी परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी और विध्वंसक जहाजों को प्रशांत महासागर से हिंद महासागर की ओर भेज दिया. यह रौद्र रूप देख कर अमेरीका के पसीने छुट गए थे.
16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
भारतीय सेना की जांबाजी के आगे पाकिस्तानी सेना ने महज 13 दिन में ही घुटने टेक दिए थे.अमेरिका का सातवां बेड़ा जब तक पाकिस्तान की मदद करने के लिए बंगाल की खाड़ी में पहुंच पाता, उससे पहले ही 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने घुटने टेक दिए और आत्मसमर्पण कर दिया. हालांकि, रूस की नौसेना ने सातवें बेड़े का पीछा तब तक नहीं छोड़ा, जब तक वह वापस नहीं लौट गया.