Jain : सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के खिलाफ खड़ा जैन समाज, जैन मुनि सुज्ञेयसागर जी ने त्यागे प्राण
झारखंड के गिरिडीह स्थित पवित्र जैन (Jain) तीर्थ सम्मेद शिखर जी को पर्यटन में शामिल करने को लेकर समाज में गुस्सा है. राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. सांगानेर मे विराजित सुज्ञेयसागर जी महाराज सम्मेद शिखर बचाने के लिए 25 दिसंबर से अनशन पर बैठे थे. नौ दिन बाद कल मंगलवार को उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए.
आखिर क्या है इस आंदोलन की वजह : Jain
जैन समाज ”श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को टूरिस्ट प्लेस बनाने का विरोध कर रहा है.श्री सम्मेद शिखर तीर्थ झारखंड में मौजूद है. इसेके पीछे दलील ये दी जा रही है कि टूरिस्ट प्लेस बनाने से तीर्थ की पवित्रता को खतरा है.टूरिस्ट प्लेस बनाने का फैसला झारखंड सरकार ने लिया है.बता दें कि श्री सम्मेद शिखर तीर्थ जैन समाज का सर्वोच्च तीर्थ है.जैन समाज की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है.जैन समाज के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने ये यहां मोक्ष प्राप्त किया था.जैन धर्म के तीर्थराज के रुप में इसकी मान्यता है.ये तीर्थ ‘पारसनाथ पर्वत’ के नाम से भी मशहूर है.श्री सम्मेद शिखर तीर्थ झारखंड के गिरिडीह में है.
क्या बोले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
पारसनाथ सम्मेद शिखरजी को लेकर उपजे विवाद पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्हें अभी इस मामले की विस्तृत जानकारी नहीं है. उन्हें बस इतना पता है कि केंद्र सरकार ने पारसनाथ पर्वत को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ है, इसलिए वे इस मामले अभी अपनी कोई राय नहीं दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से अभी इस पर ना कोई टिप्पणी गई है और ना ही कोई फैसला लिया गया है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से यह फैसला क्यों और किस संदर्भ में लिया गया है, उसकी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. वह देखेंगे कि इस मामले में क्या हल निकल सकता है