JNU : क्या सच में ब्राह्मण बाहरी हैं, जानिए क्यों “ब्राह्मण भारत छोड़ो” के नारे से रंग दी गई JNU की दीवारें
पिछले कुछ सालों से जेएनयू (JNU) देश का विवादित विश्विद्यालय बना हुआ है. पूर्व में इस विश्विद्यालय में भारत के कई महापुरूषों ने, नेताओं ने शिक्षा ग्रहण की है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देश और समाज को बांटने वाली मानसिकता जेएनयू में पनप रही है. कुछ सालों पहले जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगे थे. इसके अलावा कई प्रकार के विवादों से ये यूनिवर्सिटी घिरी रहती है. अभी हाल ही में जेएनयू की दीवारें ब्राह्मण विरोधी नारों से रंग दी गई हैं…
“ब्राह्मण भारत छोड़ो” आखिर यह मानसिकता किसकी है: JNU
ब्राह्मण और वैश्य समाज के लिए लिखी गई इन बातों का सिर्फ एक ही उद्देश्य है. उद्देश्य है संगठित सनातन धर्म का विभाजन करना. इसके अलावा दूसरा कोई उद्देश्य हो ही नहीं सकता है. ब्राह्मणों ने इस तपोभूमि को अपने ज्ञान और आवश्यकता पड़ने पर अपने रक्त से अभिसिंचित किया है. देश के टुकड़े टुकड़े करने की बात इसी विश्विद्यालय में गूंजी थी. आज कुछ कुंठित मानसिकता के लोग समाज को बांटना चाहते हैं.
नारों को लेकर प्रशासन सख्त विश्विद्यालय से माँगी रिपोर्ट : JNU
प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की दीवारों पर ब्राह्मण और बनिया विरोधी नारे दीवारों पर लिखे होने की तस्वीरें वायरल हुई थीं. इसके बाद विभिन्न छात्र संगठनों में आक्रोश था. छात्रों ने दावा किया कि स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज-II की इमारत की दीवारें ब्राह्मण और बनिया समुदाय के खिलाफ नारेबाजी से भर दी गई हैं. जेएनयू की कुछ दीवारों पर ‘ब्राह्मण परिसर छोड़ो’, ‘खून होगा’, ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’, ‘ब्राह्मणों, बनियों हम आएंगे,हम बदला लेंगे’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसके लिए वामपंथियों पर आरोप लगाया है.डीन, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज एंड शिकायत कमेटी को जल्द से जल्द पूछताछ करने और वीसी को एक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है.
लेखक मनोज मुंतशिर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, ब्राह्मणों का बलिदान याद दिलाया
बॉलीवुड के प्रसिद्ध लेखक मनोज मुंतशिर ने कहा कि यह चुप होने वाली बात नहीं है,समाज के हर व्यक्ती को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए. इसके बाद लेखक ने अपने यू ट्यूब चैनल पर एक वीडियो साझा कर इस पर प्रतिक्रिया दी. ब्राह्मणों को बाहरी का खिताब देने वालों को इस वीडियो के माध्यम से मुँहतोड़ जबाब दिया. आइए वीडियो के कुछ अंश और शब्दों को साझा करते हैं…
गुरु वशिष्ठ का उदाहरण :– महान ग्रंथ श्री रामचरित मानस में रघुवंश के कुल गुरु वशिष्ठ के बारे में उन्होंने कहा कि महाराज दशरथ के मरणोपरांत पूरा शासन उनके हाथ में था लेकिन सिंहासन पर बैठने की इच्छा कभी नहीं की.
चाणक्य का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता को पलट दिया सारा जीवन लगा दिया राजा बनाने की बारी आई तो चंद्रगुप्त जैसे बनवासी को राजा बनाया.
बाजीराव, मंगल पांडेय,जैसे कई महान ब्राह्मण का जिक्र किया.लेखक ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने हमारे धर्म ग्रंथों को जला दिया, ब्राह्मणों ने अपने तप और अपनी जान की बाजी लगाकर संस्कृति का संरक्षण किया है.