जेट एयरवेज के पूर्व चेयरमैन नरेश गोयल के अर्श से फर्श तक का सफर

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नई दिल्ली:एक 18 साल का लड़का 1967 में खाली हाथ दिल्ली ये सोचकर आता है कि उसके सपनों को यहीं ऊँचीं उड़ान मिलेगी।उसके कारोबारी पिता की मृत्यु हो चुकी थी और बैंक ने कर्ज न चुकाने की एवज में उसके घर को जब्त कर लिया था।हालात इतने खराब थे कि आधे पेट खाने के लिए भी जद्दोजहद करना पड़ रहा था।परिवार पालने की जिम्मेदारी उस लड़के पर हीं थी मगर वह पढ़कर सीए बनना चाहता था।उसने एक ट्रेवल एजेंसी में पार्ट टाइम जाँब भी की मगर परिवार की जिम्मेदारियों ने उन्हें पढ़ने नहीं दिया।पेट और दैनिक जरूरतें पूरी तरह हावी होती गई, फिर उसने दिल्ली अपने रिश्ते के चाचा चरणदास के पास जाने का निर्णय किया।चरणदास एक ट्रेवल एजेंसी चलाते थे और उसका दफ्तर अंसल भवन में था।लड़के को ट्रेवल एजेंसी के कामकाज की थोड़ी बहुत जानकारी पटियाला में काम करने के दौरान हो गई थी।मेहनती और दूर की सोच रखने वाले उस गरीब लड़के ने थोडे हीं दिनों में ट्रेवल एजेंसी के हर दांव-पेंच अच्छी तरह सीख लिया और अपने चाचा चरणदास की ट्रेवल एजेंसी को काफी आगे बढ़ा दिया।चाचा चरणदास भी पूरी तरह उस पर निर्भर हो गए थे, इंडिपेंडेंट काम करने का फायदा उस लड़के को यह हुआ कि वह इस बिजनेस की हर बारिकियों को भलीभांति समझ गया था।बेहद मृदभाषी और मिलनसार उस लड़के ने थोड़े हीं समय में बहुत अच्छे संपर्क बना लिये।
एक दिन वह लड़का अपने चाचा चरणदास के घर जाकर उनके पैर छूता है और कहता है कि आपके आशिर्वाद से मैं अपना ट्रेवल एजेंसी खोल रहा हूँ, आशिर्वाद दें।उसकी अपनी ट्रेवल एजेंसी खुल जाती है और उसके सपने नित्य नई उड़ान भरने लगते हैं।वो लड़का नरेश गोयल बाद में जेट एयरवेज का चेयरमैन बनता है।आपको बता दें ये वो दौर था जब पंजाब के लोग व्यवसाय के सिलसिले में इंग्लैंड और कनाडा जा रहे थे।80 के दशक में भारतीय कामगारों का रूझान खाडी के देशों में हुआ।भारत से रोज सैकडों लोग खाडी के देशों में नौकरी करने जाने लगे थे,इसका फायदा नरेश गोयल ने खूब उठाया।ट्रेवल एजेंसी के साथ नरेश गोयल ने सिंगापुर एयरलाइंस के जनरल सेल्स एजेंट(जीएसए)का भी कार्यभार संभाल लिया।इससे पहले वो इराक और कुवैत एयरलाइंस के जीसीए बन चुके थे मगर सिंगापुर एयरलाइंस में जीसीए बनने के बाद उनके महीने की आमदनी पचास हजार तक पहुंच गई जो उन दिनों बहुत बडी रकम थी।विदेशी एयरलाइंस नरेश गोयल को मुँह मांगी रकम देकर अपने साथ रखना चाहते थे मगर उनका लक्ष्य बहुत बड़ा था।उन्होंने जब अपनी कंपनी “जेट एयर” के नाम से खोला था तो लोग उनका यह कहकर मजाक उडाते थे कि उन्होंने अपनी ट्रेवल एजेंसी का नाम एयरलाइंस कंपनी जैसी रखी है,तब नरेश गोयल कहा करते थे कि एक दिन वह खुद की एयरलाइंस कंपनी जरूर खोलेंगे।
ट्रेवल व्यवसाय के दौरान नरेश गोयल की मित्रता बहुत से उद्योगपतियों,विभिन्न दल के बडे नेताओं और एविएशन सेक्टर के बडे लोगों से हो गई, जिसमें जेआरडी टाटा और महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार प्रमुख थे।गोयल का एयरलाइंस कंपनी खोलने का सपना 1991 में परवान चढ़ा जब उन्होंने एयर टैक्सी के रूप में जेट एयरवेज की शुरुआत कर दी।गोयल ने जेट एयरवेज का उद्घाटन जेआरडी टाटा के हाथों कराया जो उन दिनों बहुत बडी बात थी।देश के विभिन्न समाचार पत्रों में ये खबर प्रमुखता से छपी और नरेश गोयल की प्रसिद्धी देश भर में फैल गई।दरअसल, तब भारत में बिल्कुल संगठित तरीके से प्राइवेट एयरलाइंस के संचालन की अनुमति नहीं थी।आज के दिनों की तरह उन दिनों प्राइवेट एयरक्राफ्ट टाइम टेबल के हिसाब से उड़ान नहीं भरते थे।नरेश गोयल को पैसे की कमी महसूस नहीं हुई क्योंकि उन दिनों सभी ने गोयल की क्षमता और पहुंच को परख लिया था।वो जिससे पैसा लेते उसे तगडा ब्याज भी देते थे।एक साल बाद अपनी जेट ने चार जहाजों का एक बेडा बना लिया और जेट एयरक्राफ्ट की पहली उडान शुरू हो गई।
दिल्ली के एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र ने नरेश गोयल की बहुचर्चित कंपनी जेट एयरवेज के शुरूआती फंडिंग पर सवाल उठाए थे और लिखा था कि बहुत से माफियाओं ने अपनी ब्लैक मनी को इस कंपनी में लगाया है।बताते हैं कि थोडे हीं दिनों बाद उस अखबार की आवाज मध्यम पड़ गई, शायद सबकुछ मैनेज हो गया था।
नरेश गोयल का बिजनेस खूब फलने फूलने लगा,दरअसल लोग सरकारी एयरलाइंस के तौर तरीके से उबने लगे थे।प्राइवेट एयरलाइंस के आगे सरकारी एयरलाइंस कहीं भी टिक नहीं सकी और दशकों पुराने सरकारी नियम-कानून,कुप्रबंधन ने महाराज को भिखारी में तब्दील कर दिया।
डोमेस्टिक उडानों में अपना झंडा गाड़ने के बाद नरेश गोयल की दृष्टि अंतरराष्ट्रीय उडानों पर लग गई।इसी क्रम में नरेश गोयल ने खस्ताहाल एयर सहारा को 2006 में 2250 करोड़ रुपए में खरीदा।जेट को इस सौदे से 27 विमान मिले,जिनके दम पर उसे 12% मार्केट शेयर प्राप्त हुआ।कंपनी ने बडी धूमधाम से अपनी अंतरराष्ट्रीय उडान शुरू कर दी।एविएशन एक्सपर्टों ने एयर सहारा सौदे के समय हीं ये आशंका जताई थी कि कहीं ये सौदा नरेश गोयल को भारी न पड़े और हुआ भी यही।एयर सहारा को खरीदने के समय ये तय हुआ था कि किसी भी कर्मचारी को निकाला नहीं जाएगा मगर 2008 में कच्चे तेल के भाव बेकाबू हो गए और विमानन कंपनियां नुकसान में जाने लगी थी।जेट एयरवेज ने बडी छटनी की घोषणा की मगर सरकार के हस्तक्षेप से फिर उन्हें बहाल करना पडा थी,जिससे जेट एयरवेज को तगडा घाटा लगा।
साल 2012,जुलाई में जेट डोमेस्टिक मार्केट शेयर के मामले में इंड़िगो से पिछड़ गई।इंडिगो ने बेहद सस्ते दामों पर टिकट उपलब्ध करा दिये,जिससे पब्लिक का झुकाव इंडिको की तरफ हो गया।जेट एयरवेज सस्ते दामों पर यात्रा नहीं करा पा रही थी,कारण उसके ऊपर बहुत कर्जा
था और टिकट की बिक्री से हीं उसे पूरा करना था।
नवंबर 2013 में यूएई के एतिहाद एयरलाइंस ने जेट एयरवेज का 24% शेयर खरीद लिया, अब नरेश गोयल के पास 51% हीं हिस्सेदारी रह गई थी।बताते हैं कि एतिहाद एयरलाइंस ने शरद पवार के कहने पर जेट एयरलाइंस में निवेश किया था और हवा तो ये भी उडी थी कि एतिहाद एयरलाइंस में दाउद इब्राहिम का काला पैसा लगा है।
एतिहाद के पैसा लगाने से कुछ दिनों तक तो गाडी पटरी पर आई मगर 12 नवंबर,2018 को जेट को तीसरी बार तिमाही नुकसान हुआ।22 नवंबर को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रंजन मथाई ने इस्तीफा दे दिया।अंततः 25 मार्च 2019 को जेट एयरवेज के बोर्ड से इस्तीफा देना पडा।17 अप्रैल,2019 से जेट की सभी उडाने बंद है।
अभी दो दिन पहले खबर आई है कि ईडी ने एक ट्रैवल एजेंसी की शिकायत पर मुंबई पुलिस द्वारा एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर का संज्ञान लिया है।सूत्रों ने कहा है कि ईडी की फाँरेक्स उल्लंघनों की जाँच में कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की बात सामने आई है।यह पहला मौका है जब एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए गोयल को हिरासत में लिया है।नरेश गोयल को ईडी ने उनके आँफिस से डिटेन किया और उसके बाद अपनी कार में उनके घर ले जाकर तलाशी ली जा रही है।जाँच एजेंसियों को शक है कि गोयल ने टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों में कुछ कंपनियों के अप्रत्यक्ष मालिक हैं।
नरेश गोयल के उत्थान और पतन की दास्तां बडी दिलचस्प है।उन्होंने ये सिद्ध कर दिया है कि कडी मेहनत और लगन से सभी मुकाम हासिल किए जा सकते हैं।
जब हौसला बना लिया ऊँचीं उड़ान का,
फिर देखना फिजूल है कद आसमान का,
डरना नहीं यहाँ तू किसी भी चुनौती से,
बस तू ही सिकंदर है सारे जहान का।

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