New Year 2023 : बरसेगी बाबा महाकाल की कृपा, दो दशकों के बाद बनेगा ऐसा योग
आने वाले नव वर्ष में (New Year 2023) में अद्भुत योग बनेगा. हर कोई वर्ष के प्रारंभ में ही पूरी वर्ष के बारे में जानना चाहता है. इस साल बहुत ही अद्भुत योग बनेगा. शिव भक्तों को इस बार भगवान शिव की पूजा करने के लिए दो महीने सावन मिलेगा. सावन शिव भक्तों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है. भक्त अपने आराध्य महादेव की पूजा अर्चना का अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं.
क्या है अधिकमास और कब-कब पड़ता है : New Year 2023
अधिक मास चन्द्रसौर कैलेंडर के हिसाब से साल का तेरवा महीना है. कई चन्द्रसौर कैलेंडर में अधिकमास को एक निश्चित समय पर डाला जाता है, जैसे बुद्धिस्ट कैलेंडर में अधिकमास आषाढ़ महीने के बाद ही आता है. परन्तु कई भारतीय सम्वत में (विक्रम संवत) या पंचांग में इसका स्थान बदलता रहता है.
सन 2018 में ज्येष्ठ महीने के पहले अधिक ज्येष्ठ माह आया था ठीक उसी तरह 2020 में आश्विन माह के पहले अधिक आश्विन मास आया है. जब भी अधिकमास पड़ता है तो आने वाले मास के नाम पर अधिकमॉस का नाम रखा जाता है. मार्गशीर्ष से माघ महीनों में अधिकमास नहीं पड़ता. और अधिक कार्तिक मास भी बहुत दुर्लभ होता है, जो आखरी बार सन 1964 में पड़ा था.
2020 में 18 सितम्बर से 16 अक्टूबर तक अधिक आश्विन माह रहेगा फिर 17 अक्टूबर से आश्विन माह प्रारम्भ होगा. इसके बाद ‘विक्रम सम्वत 2080’ यानी सन 2023 में श्रावण मास व अधिकमास का पावन योग बनेगा.
क्या है सावन के महीने का महत्व, क्या कहते हैं पुराण
सावन महीना भगवान भोलेनाथ के नाम होता है. पूरे सावन में भक्त भोले नाथ की आराधना में लीन रहते हैं. भक्त सोमवार का व्रत रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल चढ़ाने से शिव जी प्रसन्न होते है. जिससे मनोकामना पूरी होती है. इस महीने में भक्त कई धार्मिक स्थलों पर भगवान भोलेनाथ की पूजा करने भी जाते हैं. इस महीने में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की परंपरा है. लाखों भक्त सावन में पैदल कांवर यात्रा पर भी जाते हैं. इस महीने कांवर यात्रा का भी खास महत्व है. साथ ही इस मास में सोलह सोमवती का व्रत करने से कुआंरी कन्याओं को मनचाहा जीवन साथी मिलता है.