One Nation One Election : केंद्र सरकार बड़ा कदम, ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी गठित

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One Nation One Election : केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेठी गठित की है. पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में कमेटी कानून के सभी पहलुओं पर विचार करेगी और एक देश, एक चुनाव की संभावना का पता लगाएगी. कमेटी लोगों की राय भी लेगी.

पैनल में और कौन शामिल होंगे, इस बारे में अभी जानकारी सामने नहीं आई है. सदस्यों के बारे में अधिसूचना बाद में जारी की जाएगी. वन नेशन, वन इलेक्शन के विचार का मतलब देश में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने से है.

केंद्र ने बुलाया संसद का विशेष सत्र

केंद्र सरकार ने 18-22 सितम्बर को संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि केंद्र सरकार विशेष सत्र के दौरान एक देश, एक चुनाव को लेकर बिल पेश कर सकती है.आगामी विशेष सत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 9 वर्षों का पहला ऐसा विशेष सत्र होगा. इसके पहले 30 जून 2017 को जीएसटी लागू करने के लिए आधी रात को लोकसभा और राज्यसभा की विशेष संयुक्त बैठक बुलाई गई थी.

18 सितम्बर से बुलाया गया ये पांच दिनों का पूर्ण सत्र होगा, जिसमें पांच बैठकें होंगी. इसमें दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की अलग-अलग बैठकें होंगी, जैसे सामान्य सत्र के दौरान होती हैं.

क्या है एक राष्ट्र, एक चुनाव : One Nation One Election

एक राष्ट्र एक चुनाव का मतलब है कि एक देश में एक चुनाव हो जाएगा एक बार में ही सारे चुनाव करा लिए जाएंगे, इससे कई तरह का फायदा भी है. देश में विकास की गति बढ़ जाएगी इसके अलावा काले धन पर भी लगाम लगाई जा सकती है. एक बार चुनाव कराने से बार-बार चुनाव का झंझट खत्म हो जाएगा. पूरे देश के चुनाव के लिए एक ही वोटर लिस्ट होगी और इससे देश का जो पैसा चुनाव में लगता है वह भी बच जाएगा. देश के हजारों लाखों करोड़ों रुपए चुनाव पर खर्च हो जाते हैं. अगर आँकड़ों की माने तो 2019 के लोकसभा चुनाव में सरकार का लगभग 60 हजार करोड़ रुपए का खर्चा हुआ था. जबकि वर्ष 1951 में लोकसभा चुनाव हुए थे तब मात्र 11 करोड रुपए खर्च हुए थे .

आज के समय में चुनाव का खर्चा बहुत बढ़ गया है. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार कर रही है. संसद का विशेष सत्र भी बुलाया गया है, हो सकता है इस सत्र में वन्य नेशन वन इलेक्शन बिल को लागू किया जाए. हालांकि, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर काफी बदलाव लाने पड़ेगे. कई राज्य विधानसभाओं को भंग करना पड़ेगा और कई राज्य विधानसभाओं को 2 वर्ष में ही चुनाव का सामना करना पड़ेगा.

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