Naga Women Sadhu : क्या आप जानते हैं महिलाएं भी होती हैं नागा साधु, जानिए कैसे बनतीं हैं ये और क्या होती उनकी दैनिक क्रिया
पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी नागा साधू (Naga Women Sadhu) बनती हैं. उन्हें भी इसके लिए कठोर परीक्षाएं देनी होती हैं लेकिन कुछ मायनों में पुरुष नागा साधुओं से महिला साधु अलग होती है. वो वेशभूषा धारण करती हैं. उनका दिनभर का रूटीन बहुत कठिन होता है.पुरुषों की तरह ही महिला नागा साधुओं का जीवन भी पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित होता है. और उनके दिन की शुरुआत और अंत दोनों ही पूजा-पाठ के साथ ही होता है. जब एक महिला नागा साधु बन जाती है, तो सारे ही साधु और साध्वियां उसे माता कहने लगती हैं. माई बाड़ा, वह अखाड़ा है जिनमें महिलाओं नागा साधु होती हैं, प्रयागराज में 2013 में हुए कुम्भ में माई बाड़ा को और विस्तृत रूप देकर दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा का नाम दिया गया.
वास्तविकता में नागा है एक पदवी, सभी संप्रदाय के होते हैं नागा : Naga Women Sadhu
नागा एक पदवी होती है. साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन तीनों ही सम्प्रदायों के अखाड़े नागा बनाते हैं. पुरुष साधुओं को सार्वजनिक तौर पर नग्न होने की अनुमति है, मगर महिला साधु ऐसा नहीं कर सकतीं. नागा में बहुत से वस्त्रधारी और बहुत से दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं। इसी तरह महिलाएं भी जब संन्यास में दीक्षा लेती हैं तो उन्हें भी नागा बनाया जाता है, लेकिन वे सभी वस्त्रधारी होती हैं.
महिला नागा साधुओं को अपने मस्तक पर एक तिलक लगाना होता है. उन्हें एक ही कपड़ा पहनने की अनुमति होती है, जो गेरुए रंग का होता है.महिला नागा साधू जो कपड़ा पहनती हैं, वो सिला हुआ नहीं होता है. इसे गंती कहते हैं. नागा साधु बनने से पहले महिला को 6 से 12 साल की अवधि तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. जब महिला ऐसा कर पाने में सफल हो जाती है. तब उसे उसके गुरु नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं.
नागा साधु बनने से पहले करना होता है अपना पिंडदान
नागा साधु बनने से पहले, महिला साधु को अपना पिंडदान करना होता है और पिछली जिंदगी को पीछे छोड़ना होता है.महिलाओं को संन्यासी बनाने की प्रक्रिया अखाड़ों के सर्वोच्च पदाधिकारी आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा पूरी कराई जाती हैमहिला नागा साधु बनने के दौरान महिलाओं को पहले अपने बाल छिलवाने होते हैं, इसके बाद वे नदी में पवित्र स्नान करती हैं. यह उनके साधारण महिला से नागा साधु बनने की प्रक्रिया होती है.महिला और पुरुष नागा साधुओं के बीच एक ही बड़ा अंतर होता है. पुरुष नागा साधु पूरी तरह से नग्न रहते हैं, जबकि महिला नागा साधु अपने शरीर को गेरुए रंग के एक वस्त्र से ढक कर रखती है.