फरवरी में ही लगेगा होलाष्टक, नहीं होंगे मांगलिक कार्य

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Holashtak
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हिंदू धर्म के अनुसार होलाष्टक (Holashtak) के समय कोई भी मांगलिक कार्य करना अनुचित है. हिंदू धर्म में होली का बहुत अधिक महत्व माना जाता है और इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. होली रंगों का त्योहार है जो कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शुरू होता है और दूसरे दिन चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के दिन रंगोत्सव खेला जाता है. होली पर्व के ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक भी लगता है, जिसमें सभी शुभ व मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं.

जानिए होलाष्टक में क्यों नहीं करते हैं शुभ कार्य

पुराणिक मान्याओं के मुताबिक एक बार कामदेव ने भगवान भोलेनाथ की तपस्या भंग कर दी थी. इसी से नाराज होकर भोलेनाथ ने कामदेव को फाल्गुन अष्टमी के दिन भस्म कर दिया था. जब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी की उपासना की. इसी के बाद भगवान शिव ने कामदेव को फिर से प्राण दिए. कहते हैं कि तभी से होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है. होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का अंत हो जाता है.

होलाष्टक (Holashtak) कब से शुरू?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 28 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे और 7 मार्च तक रहेंगे. होलिका दहन 7 मार्च 2023 को होगा और 8 मार्च को रंगोत्सव मनाया जाएगा. बता दें कि होली के आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं.

कब होता है होलाष्टक (Holashtak) का समापन?

होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ ही हो जाता है. लेकिन मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान कुछ कार्यों को नहीं करना चाहिए, इन्हें वर्जित माना गया है. तो आइए जानते हैं कि इस साल होलाष्टक कब से लग रहे हैं और इस दौरान किन-किन कार्यों को करने की मनाही होती है.

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