Indonesia के निर्यात प्रतिबंध का होगा गहरा असर? बिगड़ सकता हैं महंगाई का स्तर

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Indonesia के निर्यात प्रतिबंध का होगा गहरा असर? बिगड़ सकता हैं महंगाई का स्तर

Indonesia के निर्यात प्रतिबंध का होगा गहरा असर? बिगड़ सकता हैं महंगाई का स्तर

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Indonesia के निर्यात प्रतिबंध का होगा गहरा असर? बिगड़ सकता हैं महंगाई का स्तर..

 

जहां पूरी दुनिया एक तरफ ईंधन के महंगे होने के कारण दिक्कतों का सामना कर रही है, वहीं एक और तरह के तेल ने भारत की चिंताओं को दोगुना कर दिया है। दरअसल, भारत को जल्द ही खाने वाले तेल की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। वजह है इंडोनेशिया का पाम ऑयल के निर्यात पर बैन लगाने का फैसला। भारत अपने खाने वाले तेल की जरूरत का ज्यादातर हिस्सा आयात करता है, जबकि बेहद कम हिस्से का ही देश में उत्पादन होता है।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इंडोनेशिया के पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से कितना असर पड़ने वाला है और आखिर क्यों कई अहम फसलों में दुनिया के शीर्ष उत्पादक रहने वाले भारत में तेल की कमी क्यों पड़ सकती है। इसके अलावा भारत में आगे महंगाई की क्या सूरत रह सकती है?

पहले जानें- भारत में खाने वाले तेल की खपत कितनी?
भारत में मौजूद 2015-16 तक के डेटा के मुताबिक, प्रति व्यक्ति पर हर साल 19.5 किलो खाद्य तेल का खर्च आता है। यह 2012-13 में प्रति व्यक्ति पर होने वाले 15.8 किलो खाद्य तेल के खर्च से काफी 3.7 किलोग्राम तक ज्यादा रही। इस आंकड़े से साफ है कि भारत में हर साल कुल 2.6 करोड़ टन खाद्य तेल की जरूरत पड़ती है।

अब जानें- भारत की तेल जरूरतें कहां से होती हैं पूरी?
भारत में खाद्य तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए अलग-अलग ऑयलसीड्स की बुआई की जाती है। इनमें सोयाबीन से लेकर रैप्सीड (सफेद सरसों), सरसों और मूंगफली तक शामिल है। भारत में तकरीबन 90 फीसदी तक इन्हीं तिलहनों की बुआई होती है। हालांकि, देश में फिलहाल इन तिलहनों से तेल की रिकवरी की दर काफी कम- करीब 28 फीसदी ही है। यानी हर साल 3.2 करोड़ टन तिलहन से 1.2 करोड़ टन खाद्य तेल का ही उत्पादन हो पाता है। यानी देश में जरूरी 2.6 करोड़ टन तेल का महज 40 फीसदी तक। हालात यह हैं कि भारत को अपनी बाकी जरूरतो पूरा करने के लिए 1.4 करोड़ टन तेल यानी करीब 60 फीसदी विदेश से मंगाना पड़ता है। इसमें एक गौर करने वाला तथ्य यह है कि यह आंकड़े सिर्फ 2019 तक के हैं, यानी मौजूदा समय में खाद्य तेल की खपत के आंकडे़ और आगे पहुंच चुके हैं। इस लिहाज से भारत दुनिया का सबसे ज्यादा खाद्य तेल आयात करने वाला देश है।

महंगाई के चलते कितना बढ़ चुके हैं खाद्य तेल के दाम?
गौरतलब है कि ज्यादातर खाद्य तेलों के दाम कोरोनावायरस महामारी शुरू होने से पहले जिस स्तर पर थे, अब उसके मुकाबले 60-70 फीसदी तक ज्यादा हो चुके हैं। उदाहरण के तौर पर जहां फरवरी 2019 तक भारत में सूरजमुखी के तेल की कीमत 98 रुपये प्रति लीटर थी, वहीं अब इसकी कीमत 180 रुपये से लेकर 250 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है।

विशेषज्ञों की मानें तो पिछले एक साल में ही खाद्य तेल के दामों में 50 से 100 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से खाद्य तेल की कीमतों में तकरीबन 25-40 फीसदी का इजाफा दर्ज किया जा चुका है। खुद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कह चुके हैं कि आने वाले दिनों में खाने वाले तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

पाम ऑयल पर इंडोनेशिया के फैसले से कितना फर्क?
भारत में सोयाबीन, सरसों और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के जरिए खाने के तेल का उत्पादन होता है। हालांकि, फिलहाल इन तिलहनों की खेती की एक सीमा होने के कारण सरकार को खाद्य तेल का आयात करना पड़ता है। भारत फिलहाल करीब 1.3 करोड़ टन खाद्य तेल का आयात करता है। इसमें 63 फीसदी यानी 80 से 85 लाख टन आयात पाम ऑयल का ही होता है।

अमेरिका के कृषि विभाग के डेटा को देखा जाए तो सामने आता है कि पाम ऑयल का ज्यादातर उत्पादन दक्षिण-पूर्व एशिया में होता है। आंकड़ों ते मुताबिक, इंडोनेशिया इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल का उत्पादक देश है और यहां दुनिया भर में पैदा होने वाले पाम ऑयल का 44.5 फीसदी उत्पादन होता है। यानी इंडोनेशिया की ओर से पाम ऑयल के निर्यात प्रतिबंध लगाने का फैसला भारत के लिए सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि अपने कुल पाम ऑयल आयात में भारत 45 फीसदी इंडोनेशिया से ही लेता है, जबकि बाकी खरीद मलेशिया से होती है।

भारत में कैसे उतार-चढ़ाव पर है पाम ऑयल की कीमतें?
भारत में कोरोना महामारी के कदम रखने के दौरान पाम ऑयल की कीमतें करीब 86 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जबकि अब इसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो से कुछ ज्यादा हैं। पिछले साल सितंबर में तो पाम ऑयल की कीमतें 138 रुपये प्रति किलो तक भी पहुंच गई थीं। रिपोर्ट्स की मानें तो इंडोनेशिया की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अब एक बार फिर खाद्य तेल का महंगाई दर पिछले साल मई की तरह इस साल भी 30 फीसदी के आंकड़े को पार कर जाएगा।

भारत मौजूदा समय में इंडोनेशिया से हर महीने करीब 3,00,000 से 3,25,000 टन पाम ऑयल हर महीने आयात करता है। अब अगर इंडोनेशिया के निर्यात प्रतिबंध की वजह से अचानक ही भारत को यह तेल मिलना बंद हो जाए तो इससे देश में खाद्य तेल का संकट जबरदस्त रूप से बढ़ जाएगा। वह भी ऐसे समय, जब रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत का तेल आयात पहले ही कम हो चुका है।

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कैसे हो रहा भारत को नुकसान?
भारत पाम ऑयल के अलावा सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का भी आयात करता है। जहां सोयाबीन तेल अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है, वहीं सूरजमुखी का तेल यूक्रेन और अर्जेंटीना से आयात होता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद से ही भारत का सूरजमुखी के तेल का आयात 2-2.5 लाख टन प्रति महीने से गिरकर एक लाख टन प्रति महीने पर आ गया है।

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