Sri Lanka Crisis :एक बार फिर बना श्रीलंका का हमदर्द भारत…

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Sri Lanka Crisis :एक बार फिर बना श्रीलंका का हमदर्द भारत…

श्रीलंका में पेट्रोल का भंडार खत्म हो चुका है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा भी कि ‘‘फिलहाल हमारे पास बस एक दिन के लिए पेट्रोल का भंडार है।’’

श्रीलंका की डूबती अर्थव्यवस्था को भारत से बड़ा सहारा मिल रहा है। बदतर होते हालातों के बीच भारत श्रीलंका के लिए खेवनहार बनकर सामने आया है। आर्थिक संकट के साथ-साथ जब यह देश ऊर्जा संकट से भी घिर गया है, तो ऐसे समय में भारत की ओर से पड़ोसी देश को बड़ी मदद भेजी जा रही है।

दरअसल, श्रीलंका में पेट्रोल का भंडार खत्म हो चुका है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा भी कि ‘‘फिलहाल हमारे पास बस एक दिन के लिए पेट्रोल का भंडार है।’’ ऐसे में अब खबर आई है कि भारतीय ऋण सुविधा के माध्यम से श्रीलंका को बड़ी मदद मिलने वाली है।

कल तक पहुंचेगी भारतीय मदद

विक्रमसिंघ ने अपने संबोधन में कहा था, भारतीय ऋण सुविधा से डीजल के दो और खेप 18 मई और एक जून को पहुंचने वाले हैं। इसके अलावा, पेट्रोल के दो खेपों के 18 एवं 29 मई तक श्रीलंका पहुंचने की संभावना है। इसके बाद श्रीलंका में पेट्रोल और डीजल की कमी को काफी हद तक कम कर लिया जाएगा।

Sri Lanka down to its last day of petrol, warns new PM | Business and  Economy News | Al Jazeera

खुले बाजार से जुटा रहा डॉलर

श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा था, ‘‘ अगले 40 दिनों के लिए में कच्चे तेल एवं भट्ठी तेल श्रीलंका की समुद्री सीमा में खड़े कर लिये गये हैं। हम इन खेपों का भुगतान करने के लिए खुले बाजार से डॉलर जुटाने में लगे हैं। ’’ उन्होंने कहा कि श्रीलंक में बिजली का एक चौथाई हिस्सा तेल से पैदा होता है इसलिए प्रतिदिन बिजली कटौती 15 घंटे तक होगी । उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि हमने इस संकट को टालने के लिए धन पहले ही जुटा लिया है। ’’

आजादी के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा श्रीलंका

श्रीलंका 1948 में मिली आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से ईंधन, रसोई गैस एवं अन्य जरूरी चीजों के लिए लंबी लंबी कतारें लग गयी हैं तथा भारी बिजली कटौती एवं खाने-पीने के बढ़ते दामों ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। आर्थिक संकट से श्रीलंका में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और प्रभावशाली राजपक्षे की इस्तीफे की मांग होने लगी। राष्ट्रपति गोटबाया ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने पिछले सप्ताह नये प्रधानमंत्री एवं युवा मंत्रिमंडल को नियुक्त किया। नयी सरकार राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती के लिए अहम संवैधानिक सुधार पेश करेगी।

 

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